सचिन तेंदुलकर के कोच रहे रमाकांत आचरेकर का बनेगा स्मारक, महाराष्ट्र सरकार ने दी मंजूरी
सचिन तेंदुलकर के बचपन के कोच रहे रमाकांत आचरेकर को समर्पित एक स्मारक के प्रस्ताव को महाराष्ट्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। दरअसल, महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग ने मुंबई के प्रसिद्ध शिवाजी पार्क में गेट नंबर 5 पर स्मारक बनाने की मंजूरी दी है। इसके रखरखाव की जिम्मेदारी बी वी कामथ मेमोरियल क्रिकेट क्लब को सौपीं गई है और इसमें सरकार की ओर से कोई वित्तीय योगदान नहीं दिया जाएगा।
शिवाजी पार्क जिमखाना के सहायक सचिव सुनील रामचंद्रन ने जताई खुशी
शिवाजी पार्क जिमखाना के सहायक सचिव सुनील रामचंद्रन ने स्मारक के लिए पहल की अगुआई की थी। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, रामचंद्रन ने कहा, "फिलहाल मुंबई में कोई महान कोच नहीं है। आचरेकर सर ने भारत को 13 क्रिकेटर दिए हैं। उन्होंने सचिन तेंदुलकर की वजह से प्रसिद्धि मिली। अब उनके जैसा कोई दृढ़ संकल्पी नहीं है। मैं पिछले 3 सालों से इस परियोजना का अनुसरण कर रहा हूँ और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने हमारा बहुत समर्थन किया है।"
सचिन तेंदुलकर ने सरकार का जताया आभार
सचिन ने सरकार के इस फैसले पर अपनी खुशी व्यक्त की है। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'आचरेकर सर का मेरे और कई अन्य लोगों के जीवन पर बहुत प्रभाव रहा है। मैं उनके सभी छात्रों की ओर से बोल रहा हूँ। उनका जीवन शिवाजी पार्क में क्रिकेट के इर्द-गिर्द घूमता था। शिवाजी पार्क में हमेशा रहना ही उनकी इच्छा रही होगी। मैं आचरेकर सर की कर्मभूमि पर उनकी प्रतिमा बनाने के सरकार के फैसले से बहुत खुश हूँ।'
ये है सचिन का पोस्ट
द्रोणाचार्य अवार्डी कोच थे आचरेकर
आचरेकर ने अपने करियर में केवल एक फर्स्ट-क्लास मैच खेला था, लेकिन कोचिंग में वह काफी सफल रहे। सचिन के अलावा अजीत अगरकर, चंद्रकांत पंडित, विनोद कांबली, रमेश पोवार और प्रवीण आमरे जैसे खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले आचरेकर को 1990 में द्रोणाचार्य अवार्ड दिया गया था। इसके बाद 2010 में उन्हें राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा खेलों के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। 2019 में उनका 87 साल की उम्र में निधन हो गया था।
हर गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु से मिलने जाते थे सचिन
सचिन हर गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु से मिलने उनके घर जाया करते थे। इस दौरान वह आचरेकर से ट्रेनिंग पाए अपने किसी साथी खिलाड़ी को भी ले जाते थे। अक्सर देखा जाता था कि गुरु पूर्णिमा के दिन सचिन भावुक हो जाते थे और सोशल मीडिया पर अपने पूरे करियर की सफलता का श्रेय अपने गुरु आचरेकर को दिया करते थे। सचिन ने आचरेकर की अर्थी को कंधा भी दिया था।