तेजी से बढ़ रहे हैं 'जीरो-क्लिक' हैक्स, कई देशों की सरकारें भी कर रही हैं जासूसी
क्या है खबर?
प्राइवेसी और इंटरनेट सेवाएं दोनों एकसाथ मिलना अब आसान नहीं रह गया है।
हैकर्स के अलावा कई देश की सरकारें भी अब नागरिकों की जासूसी कर रही हैं और इसके लिए खास तरह के टूल्स डिजाइन किए जा रहे हैं।
परेशानी की बात यह है कि यूजर्स को नुकसान पहुंचाने के लिए हैकर्स 'जीरो-क्लिक' हैक्स की मदद ले रहे हैं।
ऐसे अटैक्स का शिकार बनने वाले यूजर्स अपनी ओर से कोई गलती या लापरवाही नहीं करते।
अटैक
ऐसे की जाती है जीरो-क्लिक हैकिंग
इंटरनेट यूजर्स को अनजान लिंक्स पर क्लिक करने, अनजार अटैचमेंट्स डाउनलोड ना करने और ऐप्स इंस्टॉल ना करने की सलाह दी जाती है।
परेशानी की बात यह है कि जीरो-क्लिक अटैक में हैकर बिना ऐसी कोई गलती किए यूजर को शिकार बना सकता है।
यानी कि किसी मालीशियस लिंक पर क्लिक किए या अटैचमेंट डाउनलोड किए ही यह अटैक किया जा सकता है।
दरअसल, इसके लिए हैकर्स ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद खामियों का फायदा उठाते हैं।
खतरा
इंस्टॉल कर दिए जाते हैं स्पाईवेयर
हैकर्स सबसे पहले ऐपल के iOS या गूगल के एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद खामियों का पता लगाते हैं।
इसके बाद किसी विक्टिम के डिवाइस में सेंध लगाना आसान हो जाता है और उसकी ओर से कोई ऐक्शन लिए जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती।
OS में मौजूद खामियों के साथ डिवाइस में पहुंचने के बाद हैकर्स स्पाईवेयर इंस्टॉल कर देते हैं।
इन स्पाईवेयर्स से यूजर्स डाटा चुराने, कॉल्स सुनने और लोकेशन ट्रैक करने जैसे काम किए जा सकते हैं।
एजेंसियां
सरकारी एजेंसियां भी करती हैं ऐसे अटैक्स
बीते दिनों ऐसे ही जीरो-क्लिक हैक्स की मदद से ऐक्टिविस्ट्स, पत्रकारों और दूसरे प्रभावशाली लोगों की जासूसी का मामला सामने आया था।
ब्लूमबर्ग न्यूज के मुताबिक, कई कंपनियां अलग-अलग देश की सरकारों और एजेंसियों को ऐसे अटैक्स के लिए टूल्स बेचती हैं, जिनमें इजराइल का NSO ग्रुप भी शामिल है।
इजराइल की पैरागन, कैंड्र्यू और कॉग्नाइट सॉफ्टवेयर लिमिटेड भी जीरो-क्लिक हैकिंग टूल्स तैयार करती हैं और सर्विलांस इंडस्ट्री का हिस्सा हैं।
परेशानी
जीरो-क्लिक अटैक्स से बचना बेहद मुश्किल
अगर आप उन इंटरनेट यूजर्स में से हैं, जो साइबर सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं और सावधान रहते हैं, तब भी आपकी जासूसी का खतरा जीरो क्लिक अटैक्स के चलते बना रहता है।
आप किसी मालिशियस लिंक पर क्लिक ना करें, मालवेयर वाली फाइल डाउनलोड ना करें या ऐप डाउनलोड ना करें, फिर भी OS में मौजूद खामियों से नहीं बच सकते।
मोबाइल ऐप्स और ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने वाली कंपनियां लगातार इन खामियों को फिक्स करती रहती हैं।
सुझाव
कुछ आसान कदम उठा सकते हैं आप
जीरो-क्लिक अटैक्स का खतरा कम करने के लिए कुछ आसान कदम उठाए जा सकते हैं।
आप उन मेसेजिंग ऐप्स को अनइंस्टॉल कर सकते हैं, जिनका इस्तेमाल हैकर्स गेटवे की तरह करते हैं।
इसके अलावा सभी मोबाइल ऐप्स और अपने स्मार्टफोन को लेटेस्ट वर्जन पर अपडेट रखना ऐसे अटैक्स से बचे रहने का कारगर तरीका है।
साथ ही आप मालवेयरबाइट्स, हिटमैन प्रो और मालवेयरफॉक्स जैसे टूल्स की मदद भी ले सकते हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
समझें, क्या होते हैं स्पाईवेयर?
स्मार्टफोन यूजर्स की जासूसी करने के लिए स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया जाता है और इन्हें आसानी से टारगेट डिवाइस तक भेजा जा सकता है।
स्पाईवेयर के साथ यूजर के माइक्रोफोन और कैमरा का ऐक्सेस भी हैकर्स को मिल जाता है और वह रियल-टाइम पर स्मार्टफोन में की जाने वाली ऐक्टिविटी रिकॉर्ड कर सकता है।
बीते दिनों पेगासस स्पाईवेयर चर्चा में रहा था, जिसने दुनियाभर के हजारों यूजर्स के व्हाट्सऐप अकाउंट्स में सेंध लगाई थी।