#NewsBytesExplainer: क्या भारत में स्मार्टवॉच की जगह ले पाएंगी स्मार्ट रिंग? जानिये इनकी खासियत और चुनौतियां
क्या है खबर?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्मार्टवॉच बाजार है। यहां हेल्थ ट्रैकिंग और अन्य सुविधाओं के लिए काफी लोग स्मार्टवॉच का इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो हेल्थ ट्रैकिंग डिवाइस तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें स्मार्टवॉच पहनना पसंद नहीं है। ऐसे लोगों के लिए स्मार्ट रिंग सही डिवाइस साबित हो सकती है।
आइये जानते हैं कि क्या ये स्मार्टवॉच की जगह ले पाएगी और इसकी राह में चुनौतियां क्या है।
रिंग
क्या हैं स्मार्ट रिंग?
स्मार्ट रिंग हाथ की उंगलियों में पहने जाने वाले कॉम्पैक्ट डिवाइस हैं। इनमें स्क्रीन नहीं होती, लेकिन हेल्थ ट्रैकिंग से जुड़े वो सभी सेंसर्स लगे होते हैं, जो यूजर्स को एक स्मार्टवॉच में मिलते हैं।
इनके जरिए हार्ट रेट, नींद का पैटर्न, स्टेप नोटिफिकेशन जैसी हेल्थ से जुड़ी चीजें मॉनिटर की जा सकती हैं।
कुछ स्मार्ट रिंग नियर फील्ड कम्यूनिकेशन (NFC) और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) के साथ आती हैं। इससे होम डिवाइस को कंट्रोल कर सकते हैं।
बाजार
स्मार्ट रिंग के नहीं हैं ज्यादा विकल्प
स्मार्टवॉच को तो लोगों ने हाथों-हाथ लिया, लेकिन स्मार्ट रिंग के प्रति अभी लोगों की बहुत रुचि नहीं दिख रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्ट रिंग बनाने वाली अभी बहुत कंपनियां भी नहीं हैं और प्रोडक्ट भी ज्यादा नहीं लॉन्च हुए हैं।
स्मार्ट रिंग के ज्यादा विकल्प के बाद लोगों की रुचि का सही अंदाजा लगेगा। बोट और नॉइज जैसी कंपनियों ने स्मार्ट रिंग में रुचि दिखाई है और इस पर काम भी कर रही हैं।
रिपोर्ट
सालभर से स्मार्ट रिंग पर काम कर रही है बोट
टेकक्रंच के मुताबिक, बोट के CEO समीर मेहता ने कहा कि कंपनी ने नवंबर में अपनी स्मार्ट रिंग पर काम करना शुरू किया था।
इसके जरिए कंपनी उन लोगों को अपना ग्राहक बनाना चाहती है, जो हेल्थ और नींद की ट्रैकिंग करना चाहते हैं, लेकिन स्मार्टवॉच पहनना पसंद नहीं करते हैं।
दरअसल, कई लोगों को साधारण या एनालॉग घड़ी ज्यादा पसंद आती हैं और वो स्मार्टवॉच की जगह उन्हें ही पहनना पसंद करते हैं।
चुनौती
सटीक हेल्थ डाटा के लिए स्मार्ट रिंग हो सकती है बढ़िया विकल्प
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि स्मार्टवॉच हर किसी के लिए आरामदायक नहीं है और कलाई के जरिए सटीक हेल्थ ट्रैकिंग करना चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है।
स्मार्टवॉच को सटीक डाटा पाने के लिए कलाई में उसका पूरी तरह से फिट होना महत्वपूर्ण है और स्मार्ट रिंग इसका एक बढ़िया समाधान हो सकती है।
दरअसल, हेल्थ से जुड़े कई डाटा ऐसे होते हैं, जो उंगलियों के जरिए ज्यादा सटीक तरीके से पता चलते हैं।
सोर्स
उंगली से लिया जा सकता है ज्यादा सटीक डाटा
टेकक्रंच के मुताबिक, अल्ट्राह्यूमन के संस्थापक और CEO मोहित कुमार ने बताया कि उंगली के जरिए धमनियों (आर्टरीज) तक का सटीक डाटा लिया जा सकता है, जबकि स्मार्टवॉच उंगली से प्राप्त होने वाला डाटा नहीं ले पाती।
उन्होंने कहा कि मेडिकल ग्रेड पल्स ऑक्सीमेट्री डिवाइस को उंगली पर रखकर हेल्थ डाटा लिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उंगली डाटा का बेहतर सोर्स है। इस बात पर नॉइज के खत्री कुमार ने भी सहमति व्यक्त की।
परिणाम
स्मार्ट रिंग से जुड़ी चुनौतियां
प्रभावी ढंग से सटीक परिणाम देने के लिए रिंग में सटीक एल्गोरिदम के साथ हाई-क्वालिटी सेंसर की जरूरत होती है। आमतौर पर स्मार्टवॉच में उपलब्ध सेंसर को रिंग में फिट करना निर्माताओं के लिए एक चुनौती भी है।
इससे जुड़ी दूसरी बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि स्मार्ट रिंग पूरी तरह से फिट हों। दरअसल, एक छोटा-सा अंतर इन उंगली से प्राप्त होने वाले डाटा को बदल सकता है।
कंपनी
भारत में उपलब्ध हैं ये स्मार्ट रिंग
अमेरिका में स्मार्ट रिंग बाजार में ऑउरा जैसे स्टार्टअप हैं और भारत में अल्ट्राह्यूमन और पाई रिंग जैसे शुरुआती खिलाड़ी हैं।
हालांकि, बोट और नॉइज के इस क्षेत्र में आने से उपभोक्ताओं की रुचि स्मार्ट रिंग को लेकर बढ़ सकती है। ये दोनों कंपनियां अपनी स्मार्ट रिंग के जरिए सटीक हेल्थ और नींद ट्रैकिंग का वादा करते हैं।
अमेरिका में तो ऑउरा सहित कुछ अन्य कंपनियां सब्सक्रिप्शन आधारित मॉडल पर स्मार्ट रिंग से जुड़ी हेल्थ ट्रैकिंग सर्विस उपलब्ध कराती हैं।
कीमत
अभी महंगी हैं स्मार्ट रिंग
भारत में अल्ट्राह्यूमन वर्तमान में अपनी स्मार्ट रिंग एयर को लगभग 29,000 रुपये में बेचती है, जबकि बोट अपनी स्मार्ट रिंग को लगभग 6,500 रुपये में लॉन्च करना चाहती है।
नॉइज ने अभी तक अपनी लूना रिंग की कीमत का खुलासा नहीं किया है।
अल्ट्राह्यूमन के CEO यह भी मानते हैं कि उनकी स्मार्ट रिंग की कीमत अभी काफी ज्यादा है और वो इसे किफायती बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।