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किन जानवरों पर अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है और क्या किए गए हैं परीक्षण?
कई बार बंदरों को अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है (तस्वीर: नासा)

किन जानवरों पर अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है और क्या किए गए हैं परीक्षण?

Apr 04, 2025
06:38 pm

क्या है खबर?

नासा समेत दुनिया की कई अंतरिक्ष एजेंसियां लंबे समय से अंतरिक्ष में नई खोज कर रही हैं। कई बार इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी अंतरिक्ष में भेजा गया है, ताकि यह समझा जा सके कि शून्य गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष का माहौल शरीर पर क्या असर डालता है। इन प्रयोगों का मकसद यह पता लगाना होता है कि जीवन की संभावना अंतरिक्ष में कैसे हो सकती है और इंसान वहां कितना सुरक्षित रह सकता है।

पहला परीक्षण

पहली अंतरिक्ष यात्री बनी थी एक कुतिया 

दुनिया का पहला जानवर जो अंतरिक्ष में गया, वह 'लाइका' नाम की एक रूसी कुतिया थी। उसे 1957 में सोवियत यूनियन के स्पुतनिक-2 रॉकेट से भेजा गया था। इस मिशन का उद्देश्य यह जानना था कि क्या कोई जीव अंतरिक्ष यात्रा के दौरान इंसानों के ही समान जीवित रह सकता है। हालांकि, लाइका जीवित वापस नहीं आ सकी, लेकिन इसने वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष उड़ानों की शुरुआत में काफी मदद दी।

 बंदर 

अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं बंदर

अमेरिका ने भी 1940 और 50 के दशक में कई बार बंदरों को अंतरिक्ष में भेजा था। सबसे मशहूर बंदर 'हैम' था, जिसे 1961 में नासा ने एक विशेष कैप्सूल में अंतरिक्ष में भेजा था। इस मिशन से पता चला कि एक जीव अंतरिक्ष में जाकर कुछ बटन दबाने जैसे कार्य भी कर सकता है। इससे इंसान को भेजने की तैयारी में मदद मिली और बाद में मानव मिशन की शुरुआत हुई।

कीड़े-मकोड़े

कीड़े-मकोड़े और चूहे भी हुए शामिल 

कई मिशनों में वैज्ञानिकों ने मक्खियों, कीड़ों, मछलियों, मेंढकों और चूहों को भी अंतरिक्ष में भेजा जा चुका है। मक्खियों को सबसे पहले 1947 में अमेरिकी रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजा गया था। इन छोटे जीवों से यह समझने में मदद मिली कि गुरुत्वाकर्षण की कमी का शरीर पर क्या असर होता है। इस तरह के परिक्षण से दवाओं, हड्डियों की मजबूती और दिमागी प्रतिक्रिया पर शोध करना काफी आसान हो गया।

अन्य

ISRO ने भी किए हैं परीक्षण 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भी अपने मिशनों में चूहों और दूसरे छोटे जीवों पर प्रयोग किए हैं। साल 2007 में ISRO ने रूस के साथ मिलकर एक स्पेस मिशन में जीवों को भेजा था, जिसमें चूहे और कीड़े शामिल थे। इन प्रयोगों से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि अगर भविष्य में इंसान को लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहना पड़े, तो शरीर कैसे प्रतिक्रिया देगा।