एयरटेल से जुड़ी वनवेब ने लॉन्च किए 36 नए सैटेलाइट्स, भारत में देगी स्टारलिंक जैसी सेवा
भारती (एयरटेल) से जुड़ी लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट कम्युनिकेशंस कंपनी वनवेब की ओर से 36 नए सैटेलाइट्स लॉन्च किए गए हैं। कंपनी ने बायकोनूर कॉस्मोड्रोम से एरियानेस्पेस के साथ ये लॉन्च किया है, जिसके साथ वनवेब के ऐक्टिव सैटेलाइट्स की संख्या 394 हो चुकी है। कंपनी की योजना कुल 648 LEO सैटेलाइट्स लॉन्च करने की है, जिनके साथ हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी ग्लोबल इंटरनेट कनेक्टिविटी यूजर्स को मिलेगी। वनवेब की योजना स्टारलिंक जैसी सेवा भारत में देने की है।
स्टारलिंक जैसी सेवा दे सकती है वनवेब
स्टारलिंक अकेली कंपनी नहीं है, जो भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं देना चाहती है। वनवेब अपनी योजना में शामिल किए 648 LEO सैटेलाइट्स में से करीब 60 प्रतिशत लॉन्च कर चुकी है। कंपनी का मकसद दुनिया के रिमोट एरियाज में कनेक्टिविटी देना है। इससे पहले सितंबर में इस ब्रिटिश कंपनी ने 34 सैटेलाइट्स कजाखस्तान के कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किए थे और सैटेलाइट्स का एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर रही है।
इन क्षेत्रों में मिलेगा सेवा का फायदा
कंपनी ने बताया है कि इसकी ग्लोबल सेवा अगले साल से आखिर तक लॉन्च की जा सकती है। इसकी मदद से टेलिकॉम प्रोवाइडर्स, एविएशन और मरीन मार्केट्स, ISPs और दुनियाभर की सरकारें बिजनेसेज और ग्राहकों को लो-लेटेंसी, हाई-स्पीड कनेक्टिविटी सेवाएं दे सकेंगी। अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक की भी ऐसी ही योजना है और कंपनी भारत में भी सेवाएं देने के लिए लाइसेंस मिलने का इंतजार कर रही है।
वनवेब के सैटेलाइट नेटवर्क को समझें
वनवेब का नेटवर्क दरअसल लो-अर्थ ऑर्बिटर (पृथ्वी की निचली कक्षा) में भेजे गए ढेर सारे छोटे सैटेलाइट्स का नेटवर्क है, जिसकी मदद से सुदूर क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा दी जाएगी। सामान्य सैटेलाइट्स के मुकाबले इसके सैटेलाइट्स पृथ्वी की सतह से 60 गुना पास हैं। इतना पास होने के चलते बेहतर लेटेंसी और इंटरनेट स्पीड यूजर्स को मिलेगी। कंपनी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सैटेलाइट्स की चमक कम रखी है, जिससे अंतरिक्ष ऑब्जर्वेशन के दौरान दिक्कत ना आए।
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की शुरुआत
वनवेब के एग्जक्यूटिव सुनील भारती मित्तल ने इसे डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की शुरुआत बताया है। उन्होंने कहा, "इस लॉन्च के साथ वनवेब के पास अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स का 60 प्रतिशत हिस्सा होगा। यह केवल एक साल पहले लॉन्च हुई कंपनी के लिए बड़ा कदम है और इसके साथ हम अपने डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के वादे को पूरा करेंगे। हमारी कोशिश ग्लोबल स्केल पर सुरक्षित और मजबूत सैटेलाइट ब्रॉडबैंड नेटवर्क देने की है।"
हयूगस इंडिया भी ला रही है ऐसी सेवा
ह्यूगस नेटवर्क सिस्टम से जुड़ी ह्यूगस इंडिया ने हाल ही में ISRO के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। इसके तहत लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर के सुदूर 5,000 गांवों में सैटेलाइट इंटरनेट पहुंचाया जाएगा। यह सेवा ISRO के GSAT-19 और GSAT-11 सैटेलाइट इस्तेमाल करेगी। यानी कि सैटेलाइट इंटरनेट से जुड़े कई विकल्प भारतीय यूजर्स को अगले साल के आखिर या 2023 की शुरुआत तक मिल सकते हैं।
सैटेलाइट इंटरनेट की कुछ सीमाएं भी
सैटेलाइट इंटरनेट नेटवर्क की कुछ सीमाएं भी हैं और इससे कम आबादी वाले क्षेत्रों में बेहतर सेवाएं मिलेंगी। वहीं, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सेल्युलर नेटवर्क से बेहतर स्पीड और परफॉर्मेंस मिलेगी। भारत के सुदूर क्षेत्रों में इस तरह इंटरनेट पहुंचाया जा सकेगा।