क्या है 'काशी विश्वनाथ कॉरिडोर' जिसका आज प्रधानमंत्री मोदी ने किया उद्घाटन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। यह प्रधानमंत्री का महत्वाकांक्षी और ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसके जरिए उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ एक बार फिर से वाराणसी की खोई हुई महिमा को स्थापित करने का है। उन्होंने मार्च, 2019 में इसका शिलान्यासकिया था। चलिए आपको बताते हैं कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर क्या है और इसमें क्या-क्या किया जा रहा है।
क्या है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर?
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार किया जा रहा है। काशी विश्वनाथ भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है और ये उनके 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। तीर्थयात्रियों को इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तंग गलियों से होकर गुजरना पड़ता है और ये किसी भी घाट से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ भी नहीं है। कॉरिडोर के जरिए घाटों को मंदिर से जोड़ा जा रहा है और गलियों को चौड़ा किया जा रहा है।
कितने इलाके में फैला है कॉरिडोर और इस पर कुल कितनी लागत आई?
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को 50,000 वर्ग मीटर के इलाके में बनाया जा रहा है और इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में 23 इमारतें बनाई गई हैं जिन पर 339 करोड़ रुपये की लागत आई है। आज इसी चरण का उद्घाटन किया गया और इसका लगभग 95 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दूसरे चरण में 27 मंदिर बनाए जाएंगे जिनमें खंडित मंदिरों को स्थापित किया जाएगा। पूरी योजना पर कुल 800 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
कैसा होगा कॉरिडोर का स्वरूप?
कॉरिडोर को तीन भागों में बांटा गया है और कुल चार बड़े-बड़े दरवाजे लगाए गए है। मुख्य दरवाजा ललिता घाट की तरफ होगा और एक चौड़ी गली के जरिए श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के बाद सीधे मंदिर आकर दर्शन कर सकेंगे। मंदिर के मुख्य हिस्से को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है और इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ भी बनाया गया है। इस पर संगमरमर के 22 शिलालेख हैं जिनमें काशी की महिमा का वर्णन किया जाएगा।
कॉरिडोर में और क्या-क्या होगा?
कॉरिडोर के पहले चरण में जो 23 इमारतें बनाई गई हैं, उनमें मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपर्पस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी, जलपान केंद्र और गंगा व्यू कैफे आदि शामिल हैं। इसका मतलब हर उस चीज का ध्यान रखा गया है, जिसकी तीर्थयात्रियों को जरूरत पड़ सकती है। चमक-धमक बढ़ाने के लिए 5,000 तरह की लाइट्स भी लगाई गई हैं और LED स्क्रीन्स के जरिए काशी के इतिहास के बारे में बताया जाएगा।
कॉरिडोर के निर्माण से लोगों को क्या दिक्कत हुई?
विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के लिए लगभग 400 मकानों और सैकड़ों मंदिरों को तोड़कर दूसरी जगह बसाया गया है। इसके अलावा 1,400 दुकानदारों, किराएदार और मकान मालिकों को भी शहर में दूसरी जगह बसाया गया है। मकानों को तोड़े जाने के दौरान लगभग 40 खंडित मंदिर भी पाए गए जिन्हें दूसरी जगह स्थापित किया गया है। कुछ स्थानीय लोगों ने कॉरिडोर का विरोध भी किया। उनका कहना है कि ये वाराणसी की असली पहचान को खत्म कर रहा है।