भारतीय यूजर्स के लिए लंबा होगा 5G कनेक्टिविटी का इंतजार, यह है वजह
क्या है खबर?
भारत में 5G नेटवर्क के रोलआउट का इंतजार स्मार्टफोन यूजर्स के लिए और लंबा हो सकता है।
सरकार ने पहले संकेत दिए थे कि 5G कनेक्टिविटी के लिए स्पेक्ट्रम ऑक्शंस अगले साल की पहली तिमाही में हो सकते हैं, वहीं अब सामने आ रहा है कि इसमें देरी की गुंजाइश है।
दरअसल, पूरी तरह इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार ना होने के चलते टेलीकॉम कंपनियों ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) से मई, 2022 तक का वक्त मांगा है।
रिपोर्ट
5G के लिए बहुत सारा काम होगा अभी बाकी
टेलिकॉम सेक्टर से जुड़े एक सोर्स ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, "DoT की ओर से 5G ट्रायल्स के लिए प्रोवाइडर्स को छह महीने का अतिरिक्त समय दिया गया है। हमें इस सप्ताह DoT की ओर से एक लेटर भेजा गया है।"
जरूरी कॉन्टम में स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के लिए ढेर सारा काम होना अभी बाकी है।
सोर्स ने बताया कि बड़ी स्पेक्ट्रम रेंज डिफेंस और ISRO के लिए खाली रखी जाती है, जिसके जरिए उनका इंटरनल कम्युनिकेशन होता है।
जानकारी
डिफेंस और ISRO के पास ये स्पेक्ट्रम
आपको बता दें, भारत की मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के पास अभी 3300 से 3400MHz बैंड स्पेक्ट्रम उपलब्ध हैं। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपनी जरूरतों के लिए 3400 से 3425Mhz बैंड स्पेक्ट्रम इस्तेमाल करती है।
कीमत
अभी ज्यादा है 5G स्पेक्ट्रम की कीमत
रिपोर्ट में बताया गया है कि टेलिकॉम कंपनियों के हिसाब से 5G कनेक्टिविटी लागू करने के लिए जरूरी स्पेक्ट्रम के औसत साइज की मौजूदा कीमत अभी ज्यादा है और इसपर ज्यादा खर्च आ रहा है।
कनेक्टिविटी लागू करने के लिए 100Mhz के 5G स्पेक्ट्रम की 3.3-3.6Ghz बैंड्स में जरूरत पड़ेगी।
TRAI इसके लिए स्टेकहोल्डर्स से बात कर रही है और उन्हें डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन से सहमति लेने के लिए टेलिकॉम डिपार्टमेंट के पास भेजेगी।
ट्रायल्स
5G ट्रायल्स के लिए पहले भी दिया था समय
भारत में 5G ट्रायल्स के लिए DoT की ओर से टेलिकॉम कंपनियों को छह महीने का वक्त और हरी झंडी दी गई थी।
इन छह महीनों में ट्रायल्स के लिए तैयार होने और उपकरण सेटअप करने के लिए दो महीने का वक्त शामिल था।
डिपार्टमेंट ने कहा था कि हर एलिजिबल टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर को अर्बन के अलावा रूरल और सेमी-अर्बन सेटिंग्स में भी 5G ट्रायल्स करने होंगे, जिससे नई टेक्नोलॉजी केवल शहरी क्षेत्रों तक की सीमित ना रह जाए।
बैंड्स
दिए गए थे एक्सपेरिमेंटल स्पेक्ट्रम
टेलिकॉम कंपनियों को 5G ट्रायल्स करने के लिए एक्सपेरिमेंटल स्पेक्ट्रम दिए गए थे, जिनका इस्तेमाल वे अपने उपकरणों और 5G सेवाओं की टेस्टिंग के लिए कर सकती थीं।
5G टेक्नोलॉजी के साथ यूजर्स को बेहतर हाई-स्पीड इंटरनेट अनुभव मिलने की उम्मीद की जा रही है।
तीन गुना बेहतर स्पेक्ट्रम इफीशिएंसी और अल्ट्रा-लो लेटेंसी के साथ अलग-अलग सेक्टर्स और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल का तरीका बदलेगा।
इंतजार
एयरटेल और जियो के बीच दिखेगी होड़
भारती एयरटेल के अलावा रिलायंस जियो भी 5G टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है और दोनों ही कंपनियां सफलतापूर्वक ट्रायल कर चुकी हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार की ओर से स्पेक्ट्रम मिलते ही यूजर्स को 5G सेवाएं मिलना शुरू हो सकती हैं।
एयरटेल और रिलायंस जियो के बीच होड़ के चलते 2022 के आखिर या 2023 की शुरुआत में सभी यूजर्स के लिए 5G रोलआउट किया जा सकता है।