प्रधानमंत्री मोदी ने IIT कानपुर में लॉन्च कीं ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्रीज
क्या है खबर?
ब्लॉकचेन, क्रिप्टो और मेटावर्स जैसी टेक्नोलॉजी से जुड़ा ट्रेंड रुकने का नाम नहीं ले रहा और ज्यादा से ज्यादा यूजर्स इनका हिस्सा बन रहे हैं।
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ब्लॉकचेन-आधारित डिजिटल डिग्रीज भारतीय तकनीकी संस्थान (IIT), कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में लॉन्च की गईं।
इस समारोह में सभी छात्रों को उस इन-हाउस ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए डिजिटल डिग्रीज दी गईं, जिसे संस्थान की टीम ने तैयार किया है।
प्रोजेक्ट
खास प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है IIT कानपुर
IIT कानपुर की टीम नेशनल ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, जिसके तहत तैयार की गई ब्लॉकचेन-आधारित टेक्नोलॉजी के साथ छात्रों को डिजिटल डिग्रीज मिलीं।
संस्थान ने बताया है कि इन डिजिटल डिग्रीज को ग्लोबली वेरिफाइ किया जा सकता है और इनकी नकल नहीं तैयार की जा सकती।
चेयरपर्सन और सेनेट के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संस्थान के हाइब्रिड दीक्षांत समारोह का हिस्सा बने और ये डिग्रीज छात्रों को दीं।
आयोजन
हाइब्रिड मोड में हुआ दीक्षांत समारोह
कोविड-19 महामारी के चलते IIT कानपुर के इतिहास में पहली बार पिछले साल 53वां दीक्षांत समारोह वर्चुअल रखा गया था।
इस साल आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया और करीब 880 छात्र इसमें हिस्सा लेने कैंपस पहुंचे।
वहीं, बाकी छात्रों को रिमोटली इस समारोह का हिस्सा बनने का मौका मिला।
इस पूरे आयोजन की लाइव स्ट्रीमिंग भी संस्थान की ओर से की गई, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ पाएं।
डिग्री
1,700 से ज्यादा छात्रों को मिली डिग्री
दीक्षांत समारोह में इस साल 1,723 छात्रों को उनकी डिग्रीज मिलीं, जिनमें 183 पीएचडी डिग्री पाने वाले भी शामिल हैं।
ब्लॉकचेन-आधारित टेक्नोलॉजी के साथ डिजिटल डिग्री पाने वाले छात्रों को बाद में अलग-अलग सेशंस में उनके विभागों की ओर से इनकी फिजिकल कॉपी दी जाएगी।
ऐसी ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कुछ प्रदेशों में जमीनों की खरीद से जुड़े दस्तावेजों के सत्यापन के लिए भी किया जा रहा है और ब्लॉकचेन पर डिजिटल दस्तावेज पूरी तरह सुरक्षित होते हैं।
ब्लॉकचेन
क्या है ब्लॉकचेन का मतलब?
ब्लॉकचेन को दो हिस्सों में बांटकर आसानी से समझा जा सकता है।
पहले हिस्से ब्लॉक का मतलब डाटा ब्लॉक्स से है, जिनमें किसी डिजिटल डॉक्यूमेंट से जुड़ा डाटा स्टोर होता है।
इस तरह के कई ब्लॉक्स मिलने के चलते एक श्रंखला बनती जाती है, जिस चेन से ब्लॉकचेन का निर्माण होता है।
यानी कि एक ब्लॉक में डाटा स्पेस खत्म होने के बाद दूसरा ब्लॉक इस चेन में जुड़ जाता है और सारा डाटा आपस में कनेक्टेड होता है।
तरीका
कैसे काम करती है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी दरअसल डाटा ब्लॉक्स पर आधारित एक्सचेंज की प्रक्रिया है।
ये सभी ब्लॉक्स एनक्रिप्टेड होते हैं, यानी कि इनमें स्टोर डाटा चोरी नहीं किया जा सकता।
इस व्यवस्था से किसी भी तरह के दस्तावेज और करेंसी को भी डिजिटल बनाकर ब्लॉक्स में उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है।
एक बार स्टोर डाटा या डॉक्यूमेंट को केवल डिक्रिप्शन के बाद ऐक्सेस किया जा सकता है और यह पूरी तरह सुरक्षित रहता है।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी करीब 30 साल पुरानी है और सबसे पहले इसका इस्तेमाल 1991 में स्टुअर्ट हबर और डबल्यू स्कॉट ने किया था। उन्होंने डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को टाइमस्टैंप करने के लिए इसकी मदद ली थी। 2009 में बिटकॉइन आने के बाद यह टेक्नोलॉजी चर्चा में आई।