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सामने आया चांद से जुड़ा रहस्य, ऐसे हुआ था धरती के इकतौले उपग्रह का निर्माण
बड़ा सवाल यह है कि धरती के उपग्रह चांद का निर्माण कैसे हुआ।

सामने आया चांद से जुड़ा रहस्य, ऐसे हुआ था धरती के इकतौले उपग्रह का निर्माण

Aug 12, 2022
06:14 pm

क्या है खबर?

इंसानी सभ्यता की शुरुआत के साथ ही रात में आसमान में दिखने वाला चांद जिज्ञासा और कौतूहल का विषय रहा है। साल 1609 में गैलेलियो के पहले ऑब्जर्वेशन के बाद से एक्सपर्ट्स, रिसर्चर्स और अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसके बारे में शोध कर रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि धरती के इस उपग्रह का निर्माण कैसे और कब हुआ। इससे जुड़ी ढेरों थ्योरीज के बाद अब एक और स्टडी सामने आई है।

रिसर्च

मौजूदा थ्योरीज का समर्थन करती है रिसर्च

ETH ज्यूरिच की रिसर्च टीम में जियोकेमिस्ट्स, कॉस्मोकेमिस्ट्स और पेट्रोलॉजिस्ट शामिल हैं। साइंस एडवांसेज जर्नल में एक नई स्टडी पब्लिश की गई है, जो चांद पर धरती के गर्भ में मौजूद हीलियम और नियॉन जैसी नोबल गैसेज होने की वजह बताती है। नई रिसर्च NASA की जायंट इंपैक्ट थ्योरी को सपोर्ट करती है, जिसमें कहा गया है कि छोटे प्रोटो प्लैनेट की टक्कर के बाद धरती के गर्भ से निकलले पदार्थों की एक डिस्क इसकी कक्षा में चक्कर लगाने लगी।

निर्माण

एक के बाद एक कई परतें चढ़ने से बना चांद

अंटार्कटिका से मिले छह चांद से जुड़े उल्कापिंडों का विश्लेषण एक कॉस्मोलॉजिस्ट पैट्रिजिया विल की ओर से किया गया। ये उल्कापिंड उन्हें NASA की ओर से ऑब्जर्वेशन और रिसर्च के लिए दिए गए थे। Phys.org की रिपोर्ट के मुताबिक, ये उल्कापिंड चांद के अंदर से मैग्मा बाहर आने और उसके तेजी से ठंडा होने के चलते बने। इसके बाद उनके ऊपर बेसाल्ट की परतें एक के बाद एक चढ़ती चली गईं।

फायदा

बेसाल्ट की परतों ने किया इसका बचाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि चांद की सतह पर बनने वाली बेसाल्ट की परतों ने कॉस्मिक रेज और खासकर सोलर विंड से इसका बचाव किया। इस मैग्मा के ठंडे होने की प्रक्रिया की वजह से लून ग्लास पार्टिकल्स और दूसरे मिनरल्स इसकी सतह का हिस्सा बनते गए। सामने आया कि ग्लास पार्टिकल्स में अब भी हीलियम और निऑन गैसों के केमिकल फिंगरप्रिंट्स मौजूद हैं, जो बात जायंट इंपैक्ट थ्योरी का समर्थन करती है।

खोज

चांद पर सौर गैसों की मौजूदगी बड़ी खोज

चांद से आने वाले उल्कापिंडों पर नोबल गैस के संकेत मिलना बड़ी खोज है। पैट्रिजिया विल ने कहा, "पहली बार चांद के बेसाल्टिक मैटीरियल पर ऐसी सौर गैसेज मिलना, जो इसकी सतह को प्रभावित करने वाले किन्हीं कारकों से नहीं जुड़ी हैं, उत्साहित करने वाला है।" यानी कि चांद को धरती का टुकड़ा कहने वाले गलत नहीं हैं और इसमें धरती की गहराइयों में मिलने वाले मिनरल्स इस बात को और पुख्ता करते हैं।

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस

NASA दशकों बाद फिर से इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी में जुटी है। इस मिशन को आर्टिमिस नाम दिया गया है और इसके लिए एजेंसी ने अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) तैयार किया है।

योजना

चांद की कक्षा में बनेगा नया स्पेस स्टेशन

लूनर गेटवे NASA का फ्यूचर प्रोग्राम है, जिसके तहत चांद की कक्षा में एक स्पेस स्टेशन का निर्माण करना शामिल है। चांद और इसके पार के अभियानों में इसका उपयोग किया जाएगा। इसकी विशेषताओं की बात करें तो इसमें अलग-अलग स्पेसक्राफ्ट के लिए डॉकिंग पोर्ट बने होंगे। धरती से जाने वाले अंतरिक्ष यात्री वहां रहकर काम कर सकेंगे। इस मॉड्यूल के लिए लॉन्च सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर स्पेस-X को चुना गया है और यह 2024 में लॉन्च होगा।