उल्कापिंड की दिशा मोड़ने के लिए NASA ने कौन-सा मिशन लॉन्च किया है?
क्या है खबर?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने एक उल्कापिंड की गति और रास्ता बदलने के लिए अपनी तरह का पहला मिशन लॉन्च किया है।
इसे डबल एस्ट्रॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट (DART) नाम दिया गया है और यह आज दोपहर 11.50 बजे कैलिफोर्निया के वेंडनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया जा चुका है।
इसका निशाना करीब 525 फीट का डिमोर्फस नामक एक उल्कापिंड है, जो 2,500 फीट के डिडिमोस नाम के उल्कापिंड की परिक्रमा कर रहा है।
DART
सबसे पहले मिशन के बारे में समझें
DART मिशन के तहत लॉन्च किया गया स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में उल्कापिंड से टकराएगा। इसका मकसद यह पता करना है कि क्या किसी उल्कापिंड की दिशा और गति को बदला जा सकता है।
NASA के प्रमुख वैज्ञानिक थॉमस जुबुर्केन ने कहा, "हम यह सीखने की कोशिश कर रहे हैं कि किसी खतरे को कैसे टाला जा सकता है।"
इस प्रोजेक्ट के डिजाइन पर 2017 में काम शुरू हुआ था और इस पर कुल 330 मिलियन डॉलर की लागत आई है।
मिशन
उल्का पिंड से कब टकराएगा स्पेसक्राफ्ट?
यह स्पेसक्राफ्ट अगले साल उल्कापिंड से टकराएगा। जब यह टक्कर होगी, तब दोनों उल्कापिंड धरती से करीब 1.10 करोड़ किलोमीटर दूर होंगे। इस टक्कर से धरती को कोई नुकसान नहीं होगा।
DART मिशन के तहत बड़े फ्रिज के आकार का एक इम्पैक्टर भेजा गया है। इसके दोनों तरफ सोलर पैनल लगे हुए हैं और यह करीब 24,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से डिमोर्फस से टकराएगा, जिससे उसकी गति में मामूली बदलाव देखने को मिलेगा।
जानकारी
धरती पर ऐसे पहुंचेगी जानकारी
इम्पैक्टर के साथ-साथ इस मिशन पर एक सेेकेंडरी स्पेसक्राफ्ट भी भेजा गया है। यह टक्कर से दो दिन पहले इम्पैक्टर से अलग हो जाएगा और मिशन की फोटो और दूसरी जानकारियां धरती पर भेजेगा। इसका निर्माण इटली की अंतरिक्ष एजेंसी ने किया है।
जानकारी
क्यों जरूरी है उल्कापिंड की गति और दिशा बदलना?
अंतरिक्ष में बड़ी मात्रा में उल्कापिंड घूमते रहते हैं और इनमें से कई धरती के बेहद करीब से गुजरते हैं।
अगर ये धरती से टकरा जाते हैं तो बड़ा नुकसान कर सकते हैं। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि अगर उल्कापिंड की गति या दिशा में थोड़ा बहुत बदलाव किया जा सकता है तो इन्हें धरती से टकराने से रोका जा सकता है। अगर टकराने से नहीं भी रोका जाता तो तैयारी के लिए थोड़ा समय मिल सकता है।
सवाल
क्या उल्कापिंड को रोकने का यही एकमात्र तरीका है?
DART मिशन के जरिये उल्कापिंड को धरती के करीब आने से रोकने के तरीके को 'काइनैटिक इम्पैक्टर' कहा जाता है। इसके दूसरे भी तरीके हैं, लेकिन मौजूदा तकनीक के हिसाब से यही सबसे उपयुक्त है।
दूसरे तरीकों में स्पेसक्राफ्ट के जरिये गुरुत्वाकर्षण बल में मामूली बदलाव किया जाता है। इसके अलावा परमाणु धमाका करना भी एक विकल्प है, जो कई फिल्मों में दिखाया जाता है, लेकिन लेकिन यह अंतरिक्ष में और कचरा फैला सकता है।
क्या आप जानते हैं?
उल्कापिंड धरती से टकरा जाए तो क्या होता है?
वैज्ञानिकों का कहना है हर 20,000 साल में 460 फीट का उल्कापिंड धरती से टकराता है। 1908 में साइबेरिया में 40 मीटर का उल्कापिंड गिरा था, जिससे लंदन शहर के बराबर जंगल को तबाह कर दिया था।