मेटावर्स में समझ आएंगी सभी भाषाएं, यूनिवर्सल लैंग्वेज ट्रांसलेटर बना रही है मेटा
मेटा ने बीते बुधवार को इनसाइड द लैब: बिल्डिंग फॉर द मेटावर्स विद AI लाइवस्ट्रीम इवेंट का आयोजन किया। कंपनी CEO मार्क जुकरबर्ग ने इस इवेंट में मेटावर्स की एक झलक दिखाई। उन्होंने बताया कि मेटा AI में किए गए नए बदलाव के साथ सेल्फ-सुपरवाइज्ड लर्निंग और कंप्यूटर विजन जैसे क्षेत्रों में मदद मिलेगी। जुकरबर्ग ने कहा कि कंपनी AI-आधारित 'यूनिवर्सल स्पीच ट्रांसलेटर' पर काम कर रही है, जो मेटावर्स में सभी यूजर्स के लिए काम करेगा।
अरबों यूजर्स को है ऐसे टूल की जरूरत
कंपनी ने बताया कि दुनिया के करीब दो अरब लोग (विश्व की आबादी का करीब 25 प्रतिशत) ऐसी भाषाएं बोलते हैं, जिनके लिए कोई ट्रांसलेशन सिस्टम उपलब्ध नहीं है। यही वजह है कि इन भाषाओं में ट्रांसलेशन टूल्स उपलब्ध नहीं हैं। इस समस्या से निपटने के लिए मेटा दो स्तर वाले (टू-फोल्ड) खास प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इस प्रोजेक्ट का पहला हिस्सा 'नो लैंग्वेज लेफ्ट बिहाइंड' और दूसरा हिस्सा 'यूनिवर्सल स्पीच ट्रांसलेटर' से जुड़ा है।
कंपनी ने शेयर किया शॉर्ट वीडियो
सैकड़ों भाषाओं में एक्सपर्ट क्वॉलिटी ट्रांसलेशन
कंपनी ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, "नो लैंग्वेज लेफ्ट बिहाइंड के साथ हम एक नया एडवांस्ड AI मॉडल तैयार कर रहे हैं, जो किसी भाषा के कम उदाहरणों की मदद से उसे सीख सकता है और हम इसका इस्तेमाल सैकड़ों भाषाओं में एक्सपर्ट-क्वॉलिटी ट्रांसलेशन के लिए करेंगे।" मेटा के मुताबिक, "यूनिवर्सल स्पीच ट्रांसलेटर के साथ तैयार किया जा रहा सिस्टम किसी एक भाषा में कही गई बात को रियल-टाइम में दूसरी भाषा में ट्रांसलेट कर देगा।"
डाटा पर काम करना ट्रांसलेशन के लिए चुनौती
मेटा ने पाया है कि दुनियाभर में ट्रांसलेशन टूल एक्सपैंड करने में सबसे बड़ी चुनौती डाटा के साथ काम करने में आती है। फेसबुक AI रिसर्च ने लिखा, "टेक्स्ट ट्रांसलेशंस के लिए MT सिस्टम्स अलग-अलग तरह के डाटा और किसी भाषा में लिखे गए लाखों वाक्यों पर निर्भर करते हैं। यही वजह है कि MT सिस्टम्स को केवल चुनिंदा भाषाओं में ही हाई-क्वॉलिटी ट्रांसलेशंस के लिए डिवेलप किया जा सका है।"
मेटावर्स में होगी ऐसे ट्रांसलेशन टूल की जरूरत
फेसबुक या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स की ओर से लिखी गईं पोस्ट्स को दूसरी भाषा में ट्रांसलेट करना आसान होता है। वहीं, मेटावर्स में यूजर्स एकदूसरे से वर्चुअल दुनिया में मिलेंगे और बोलकर जुड़ सकेंगे। एक यूजर अगर दूसरे की भाषा नहीं समझता तो उनके लिए जुड़ना मुश्किल हो जाएगा। नया टूल उन यूजर्स को एकदूसरे की भाषा रियल-टाइम में समझने में मदद करेगा। यानी कि मेटावर्स को बाकी सभी की बातें, उसकी भाषा में सुनाई देंगी।
भविष्य बन सकती है वर्चुअल दुनिया मेटावर्स
पिछले साल फेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा कर दिया और घोषणा की कि वह एक वर्चुअल दुनिया 'मेटावर्स' तैयार करेगी। माइक्रोसॉफ्ट और ऐपल जैसी दूसरी कंपनियां भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। एडिडास ने मेटावर्स में सैंडबॉक्स नाम का वर्चुअल प्लॉट लिया है और दूसरी कंपनियां भी रोब्लॉक्स जैसे कॉन्सेप्ट पर काम कर रही हैं। बता दें, मेटावर्स में यूजर्स अपने वर्चुअल अवतार की मदद से एकदूसरे से मिल सकेंगे और बातें कर सकेंगे।
न्यूजबाइट्स प्लस
ग्रेस्केल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मेटावर्स की वैल्यू आने वाले दिनों में ट्रिलियन डॉलर (अरबों रुपये) तक पहुंच सकती है। नाइकी और एडिडास जैसी कंपनियां अपने NFTs भी लॉन्च कर रही हैं।