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इसी साल लॉन्च होगा गगनयान से जुड़ा मिशन, ISRO ने तय की नई समयसीमा
इसी साल लॉन्च होगा गगनयान से जुड़ा मिशन

इसी साल लॉन्च होगा गगनयान से जुड़ा मिशन, ISRO ने तय की नई समयसीमा

Jul 21, 2022
11:12 am

क्या है खबर?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने बड़े मिशनों के लिए नई समयसीमा तय की है। ISRO का पहला सौर और तीसरा चंद्रमा मिशन अगले साल की पहली तिमाही में लॉन्च होगा। वहीं कॉस्मिक एक्स-रेज के अध्ययन के लिए लॉन्च किया जाने वाला तीसरा साइंटिफिक मिशन भी अगले साल के लिए निर्धारित किया गया है। गगनयान मिशन की बात करें तो उसके लिए पहला अबॉर्ट डेमोनस्ट्रेशन इसी साल के आखिर में किया जाएगा।

जानकारी

क्या है गगनयान मिशन?

गगनयान मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजेगा। इस मिशन पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, इसका अंतिम निर्णय टेस्ट फ्लाइट के बाद लिया जाएगा। इन एस्ट्रोनॉट्स को लॉ अर्थ ऑरबिट में भेजा जायेगा। यह धरती से 2,00 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और लंबे समय से इस मिशन की तैयारी चल रही है।

टेस्ट

अबॉर्ट डेमोनस्ट्रेशन मिशन में क्या होगा?

संसद में जानकारी देते हुए सरकार ने बताया कि गगनयान मिशन का पहला अबॉर्ट डेमोनस्ट्रेशन मिशन इस साल की आखिरी तिमाही में लॉन्च होगा। यह ऐसा पहला मिशन होगा। इस मिशन में उन सिस्टम को परखा जाएगा, जिनकी मदद से उड़ान के बीच मिशन के असफल होने पर क्रू मेंबर्स स्पेसक्राफ्ट से बाहर आएंगे। ISRO ने पैड अबॉर्ट टेस्ट कर लिया है, जिसमें लॉन्च पैड पर आपात स्थिति में क्रू मेंबर्स स्पेसक्राफ्ट से बाहर आ सकेंगे।

तैयारी

ISRO ने तैयार किया है खास टेस्ट व्हीकल

इस मिशन के लिए स्पेस एजेंसी ने एक टेस्ट व्हीकल बनाया है, जो सिस्टम को एक निश्चित ऊंचाई तक भेजकर उसे असफल कर सकता है। इसके बाद यह क्रू मेंबर्स के बचने के लिए बनाए गए एस्केप सिस्टम की जांच करेगा। गगनयान का एस्केप सिस्टम पांच 'क्विक एक्टिंग' सॉलिड फ्यूल मोटर्स के साथ डिजाइन किया गया है। यह मिशन के असफल होने की स्थिति में क्रू मेंबर्स के मॉड्यूल को स्पेसक्राफ्ट से अलग कर देगा।

योजना

2014 में स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट करेगा ISRO

सरकार ने बुधवार को संसद में बताया कि ISRO 2024 की तीसरी तिमाही में एक स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट करेगा। यह दो अलग-अलग लॉन्च किए गए स्पेसक्राफ्ट को जोड़ने के लिए होने वाली प्रक्रिया होती है, जिसे आमतौर पर मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ISRO ने 2019 में अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने का ऐलान किया था। यह करीब 20 टन वजनी होगा और इस पर 15-20 दिनों तक एस्ट्रोनॉट्स रुक सकेंगे।

ISRO

महामारी की वजह से लॉन्चिंग में हुई देरी

2023 के लिए निर्धारित किए गए सभी मिशन 2020 से आगे खिसकाए जा रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते करीब दो साल तक ISRO के कई कामकाज प्रभावित रहे और लॉन्चिंग में भी कमी देखी गई। सौर मिशन के लिए भेजे जाने वाले आदित्य L1 मिशन में ISRO एक स्पेसक्राफ्ट को सूरज और धरती के बीच करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर लेगेरेंगियन प्वाइंट पर भेजेगा। वहीं कॉस्मिक एक्स-रेज के अध्ययन के लिए एक्सपोसैट मिशन लॉन्च किया जाएगा।