गगनयान मिशन से पहले अंतरिक्ष में भेजी जाएगी यह 'महिला', नाम है व्योममित्र
भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। इस मिशन के तहत भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ये तय समय तक अंतरिक्ष में प्रयोगों को अंजाम देकर वापस धरती पर लौटेंगे। एस्ट्रोनॉट्स को भेजने से पहले दो टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी। इन फ्लाइट में भेजे जाने वाले ह्यूमनॉयड (आदमी से मिलता-जुलता रोबोट) की झलक सामने आ गई है और यह एक 'महिला' है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
दो भाषाएं बोल सकती है व्योममित्र
इस ह्यूमनॉयड का नाम व्योममित्र रखा गया है। यह दो भाषाएं बोलने समेत कई दूसरे काम करने में सक्षम है। इस बारे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सिवन ने TOI को बताया कि व्योममित्र को दोनों टेस्ट फ्लाइट पर भेजा जाएगा। यह वह सारे काम कर सकती है जो एक इंसान कर सकता है। उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजकर वापस लाने से आगे बढ़कर ISRO की क्षमता दिखाने के बारे में है।
ये है व्योममित्र की खास बातें
व्योममित्र बात कर सकती हैं, दूसरे लोगों को पहचान सकती है और एस्ट्रोनॉट्स द्वारा किए जाने वाले कामों की नकल कर सकती है। यह बातचीत करते हुए सवालों के जवाब दे सकती है। बुधवार को बेंगलुरू में हुए ISRO के इवेंट में इसको पेश किया गया है। इस मौके पर व्योममित्र ने 'मैं व्योममित्र हूूं। हाफ ह्यूमनॉयड का पहला प्रोटोटाइप, कहकर अपना परिचय दिया। इसे हाफ ह्यूमनॉयड इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसके टांगे नहीं हैं।
ISRO के संपर्क में रहेगी व्योममित्र
ISRO के एक वैज्ञानिक ने बताया कि व्योममित्र आगे और दायें-बायें झुक सकती है। यह प्रयोगों को अंजाम देगी और लगातार कंट्रोल रूम के संपर्क में रहेगी।
यहां देखिये व्योममित्र की झलक
मौके का अधिकतम फायदा उठाएंगे- सिवन
सिवन ने कहा, "हम बताना चाहते हैं कि पहली फ्लाइट खाली नहीं जाएगी। हम इस मौके का अधिकतम फायदा उठाना चाहते हैं। हमारे पास अपना ह्यूमनॉयड है और इसका इस्तेमाल किया जाएगा।"
क्या है गगनयान मिशन?
गगनयान मिशन के तहत तीन लोगों को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी चल रही है। हालांकि, इस पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, यह दो टेस्ट फ्लाइट के बाद तय किया जाएगा। इस मिशन पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स का चुनाव भारतीय वायुसेना से किया गया है और इन्हें ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया है। इस मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इस साल किए जाएंगे कई टेस्ट
सिवन ने कहा कि गगनयान के लिए डिजाइन का काम काफी हद तक पूरा हो चुका है और इस साल इससे जुड़े कई टेस्ट किए जाएंगे। इनमें एयरड्रॉप टेस्ट भी शामिल है। इसी साल एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बेंगलुरू में एस्ट्रोनॉट्स ट्रेनिंग सेंटर खोला जाएगा। कुछ रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मिशन पर भेजे जाने वाले पेलोड के चयन का पहला चरण पूरा हो गया है।
यहां पढ़िये गगनयान मिशन से जुड़ी सारी जानकारी
जानकारी के लिए बता दें कि इस मिशन की रुपरेखा 2007 से तैयार की जा रही है। आप इस मिशन की शुरुआत से लेकर अब तक की सारी जानकारी यहां क्लिक कर ले सकते हैं।