चंद्रयान-1 मिशन: आज से 16 साल पहले हुआ था लॉन्च, जानिए क्या कुछ खोज की
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज से 16 साल पहले यानी 22 अक्टूबर, 2008 को चंद्रयान-1 मिशन को लॉन्च किया था।
यह भारत का पहला चंद्र मिशन था, जिसकी सफलता ने चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे बड़े चंद्र मिशनों के लिए ISRO को प्रोत्साहित किया।
इस मिशन को ISRO के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाती है, जिसने भारत को अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान में अग्रणी देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया।
लॉन्च
चंद्रयान-1 मिशन के लॉन्च और उपकरण
चंद्रयान-1 को PSLV-C11 रॉकेट से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। इसमें 11 वैज्ञानिक उपकरण लगे थे, जिनमें से 5 भारत के और 6 अन्य उपकरण नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) जैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के थे।
चंद्रयान-1 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था और इसे लगभग 2 साल तक काम करना था। हालांकि, तकनीकी समस्याओं के कारण इसका संपर्क 29 अगस्त, 2009 को खत्म हो गया, लेकिन इसने मुख्य लक्ष्यों को पूरा कर लिया था।
उद्देश्य
क्या था इस मिशन का उद्देश्य?
चंद्रयान-1 की सबसे बड़ी उपलब्धि चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति का पता लगाना था। नासा के मून मिनरलॉजी मैपर (M3) उपकरण ने चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की पहचान की, जो विज्ञान में एक महत्वपूर्ण खोज थी।
इसके प्रमुख उद्देश्यों में चंद्रमा की सतह के खनिजों का मानचित्रण, उसकी भौगोलिक संरचना का अध्ययन, ध्रुवीय क्षेत्रों में पानी की संभावना की जांच और चंद्रमा की 3D तस्वीरें लेना शामिल था। इसने चंद्रमा के बारे में नई जानकारियां प्रदान कीं।
लागत
कम लागत में बड़ा मिशन
चंद्रयान-1 की कुल लागत करीब 386 करोड़ रुपये थी, जो अन्य देशों के चंद्र मिशनों की तुलना में काफी कम थी।
यह मिशन पूरी तरह से स्वदेशी था और इसे भारत में ही डिजाइन और निर्मित किया गया। भारत, अमेरिका, रूस, और यूरोपीय संघ के बाद चंद्रमा पर सफल मिशन भेजने वाला चौथा देश बन गया।
चंद्रयान-1 ने उन्नत उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया, जिसने चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की और इससे ध्रुवीय क्षेत्रों की जानकारी मिली।