शुक्रयान में शामिल होंगे कौन-कौन से पेलोड? ISRO ने दी जानकारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में पिछले महीने ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के कई मिशनों को हरी झंडी मिली थी। पिछले महीने जिन अंतरिक्ष मिशनों के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी, उसमें वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) भी शामिल है, जिसे शुक्रयान नाम भी दिया गया है। अब ISRO ने आज (1 अक्टूबर) बताया है कि शुक्रयान मिशन के तहत कौन-कौन से पेलोड भेजे जाएंगे।
कौन-कौन से पेलोड भेजे जाएंगे शुक्रयान के साथ?
ISRO ने बताया है कि शुक्रयान में 19 पेलोड शामिल होंगे, जिसमें से 16 पेलोड तरह भारत में बने होंगे, जबकि 3 अन्य पेलोड को स्वीडन, जर्मनी और रूस की मदद से बनाया जाएगा। शुक्रयान मिशन के लिए उपकरणों की एक रोमांचक यात्रा पेलोड में VSAR S-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार ज्वालामुखियों की खोज करेगा, जबकि VSEAM हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजर सतह मानचित्रण करेगा। VTC थर्मल कैमरा बादलों की गतिशीलता की जांच करेगा और VCMC बादल निगरानी कैमरा वायुमंडलीय परिसंचरण का अध्ययन करेगा।
बिजली का लगाया जा सकेगा पता
लाइव लाइटनिंग इंस्ट्रूमेंट वायुमंडल में बिजली का पता लगाएगा और VASP वायुमंडलीय स्पेक्ट्रोपोलरिमीटर क्लाउड और परिसंचरण की जांच करेगा। SPAV सौर फोटोमेट्री से एरोसोल की ऊर्ध्वाधर रूपरेखा का अध्ययन करेगा। NAVA संकीर्ण बैंड ऑक्सीजन एयरग्लो का पता लगाएगा, जबकि VETHICA थर्मोस्फीयर आयनमंडल का विश्लेषण करेगा। VARTISS एडवांस्ड रडार से आयनोस्फियर और भूविज्ञान का अध्ययन होगा। VEDA इलेक्ट्रॉन घनत्व और तापमान को मापेगा और RPA मंदक क्षमता विश्लेषक आयन ऊर्जा वितरण को मापेगा।
अन्य पेलोड
VIPER प्लाज्मा और चुंबकीय वातावरण का नमूना लेगा, जबकि VeRad विकिरण पर्यावरण की मॉनिटरिंग करेगा। SSXS सौर सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर सौर विकिरण के प्रभावों की जांच करेगा। VODEX धूल के वितरण का मानचित्रण करेगा और VISWAS आयनोस्फियर के नुकसान को मापेगा। RAVI रेडियो उपकरण आयनोस्फियर की शारीरिक रचना का अध्ययन करेगा। अंत में, VIRAL इन्फ्रारेड गैसों का मानचित्रण करेगा। ये उपकरण एक साथ मिलकर शुक्र के वायुमंडल और भूगर्भीय संरचना के रहस्यों को उजागर करेंगे।
क्या है शुक्रयान मिशन?
भारत के शुक्रयान मिशन का उद्देश्य शुक्र ग्रह के अध्ययन के लिए विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों को भेजना है। मिशन में रडार, इन्फ्रारेड इमेजर और वायुमंडलीय विश्लेषक शामिल हैं। इसका लक्ष्य शुक्र के वायुमंडल, सतह और जलवायु का अध्ययन करना है। फिलहाल ISRO की तरफ से इसके लॉन्च तिथि को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने और नए वैज्ञानिक ज्ञान के द्वार खोलने में मदद करेगा।