चंद्रमा और मंगल ग्रह पर रिसर्च के लिए लद्दाख है सही जगह, बन सकती है लैब
क्या है खबर?
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) और बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान (BSIP) के वैज्ञानिकों ने भारत के पहले मंगल और चंद्रमा एनालॉग अनुसंधान स्टेशन के लिए लद्दाख को सही जगह बताया है।
BSIP की बिनीता फरतियाल द्वारा IISc के आलोक कुमार और शुभांशु शुक्ला के साथ मिलकर इसे लेकर शोध किया गया।
शुक्ला भारत के 4 गगनयान मिशन के यात्रियों में से एक हैं।
बता दें, ISRO की योजना 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2040 तक चंद्रमा पर उतरने की है।
विशेष
क्यों लद्दाख है विशेष?
एनालॉग अनुसंधान स्टेशन एक ऐसा स्थान है, जहां चंद्रमा और मंगल ग्रह के लिए गतिविधियों की योजना बनाई जा सकती है और उनका अभ्यास किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए आवास की योजना बना रहे हैं, तो आप लद्दाख में आवास बना सकते हैं, क्योंकि वहां कुछ समानताएं और बाहरी स्थलीय स्थितियां हैं। लद्दाख क्षेत्र का ठंडा, शुष्क रेगिस्तानी परिदृश्य, चट्टानी इलाका मंगल और चंद्रमा से मिलता है।
निर्माण
प्राकृतिक प्रयोगशाला और बहुउद्देश्यीय स्टेशन का हो सकेगा निर्माण
शोध में कहा गया कि लद्दाख की अनूठी भौगोलिक विशेषताएं मंगल और चंद्र दोनों के वातावरण से काफी मिलती जुलती हैं। ऐसे में यह प्राकृतिक प्रयोगशाला बनाने के लिए देश के किसी अन्य हिस्से की तुलना में सबसे बेहतर जगह है।
प्रस्तावित अनुसंधान स्टेशन कई उद्देश्यों की पूर्ति करेगा। इस तरह की सुविधा की स्थापना से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम, विशेष रूप से भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और भविष्य की मंगल अन्वेषण योजनाओं को काफी बढ़ावा मिलेगा।