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इंटरनेट बंद करने के मामले में टॉप पर भारत, जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा शटडाउन
इंटरनेट बंद करने वाले देशों की लिस्ट में लगातार पांचवें साल शीर्ष पर है

इंटरनेट बंद करने के मामले में टॉप पर भारत, जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा शटडाउन

लेखन रजनीश
Feb 28, 2023
02:26 pm

क्या है खबर?

भारत ने बीते साल 84 इंटरनेट शटडाउन लागू किए। इसके चलते भारत इंटरनेट बंद करने वाले देशों की लिस्ट में लगातार पांचवें साल शीर्ष पर है। इंटरनेट बंद करने का आदेश विरोध-प्रदर्शन, परीक्षा और चुनाव सहित कई कारणों के चलते दिया गया था। एक्सेस नाउ और कीप इटऑन की साझा रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देश के जिस राज्य में सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया, वो जम्मू-कश्मीर था। यहां 49 बार इंटरनेट बंद किया गया।

इंटरनेट

वैश्विक स्तर पर 58 प्रतिशत शटडाउन भारत में हुए- रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2022 में जनवरी और फरवरी के बीच एक के बाद एक 16 बार इंटरनेट बंद किया गया था। वहीं राजस्थान में अलग-अलग मौकों पर 12 बार इंटरनेट बंद किया गया। पश्चिम बंगाल में 7 बार शटडाउन का आदेश दिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016 के बाद से वैश्विक स्तर पर कुल शटडाउन किए गए इंटरनेट का लगभग 58 प्रतिशत बैन भारत में किया गया।

बैन

गृह मंत्रालय को है इंटरनेट बंद करने का अधिकार

वर्तमान में इंटरनेट बंद करने का आदेश दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम 2017 के तहत शासित है। इंटरनेट बंद करने का आदेश देने का अधिकार केंद्रीय और राज्य स्तर के गृह मंत्रालय को है। एक्सेस नाउ में वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय वकील और एशिया के नीति निदेशक रमनजीत सिंह चीमा ने कहा, "पिछले साल भारत ने पृथ्वी पर किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक 84 बार इंटरनेट बंद किया।"

अधिकार

इंटरनेट बंद होना मौलिक अधिकारों पर हमला- चीमा

भारत में इंटरनेट शटडाउन पर चीमा ने कहा, "यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मौलिक अधिकारों पर 84 हमले हैं।" हालांकि, 2021 की तुलना में 2022 में इंटरनेट बंद करने या इंटरनेट शटडाउन लगाने की संख्या कम थी। साल 2021 में भारत में 107 बार इंटरनेट बंद किया गया था। वर्ष 2022 ऐसा साल रहा, जब 2017 के बाद पहली बार भारत में 100 से कम इंटरनेट शटडाउन किए गए।

समिति

संसदीय स्थायी समिति ने इंटरनेट बैन पर जताई चिंता

यह रिपोर्ट तब सामने आई है, जब हाल ही में संसदीय स्थायी समिति ने इंटरनेट बंद होने पर चिंता व्यक्त करते हुए घटनाओं का रिकॉर्ड न रखने के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) की खिंचाई की है। समिति ने इस महीने की शुरुआत में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया कि इंटरनेट बंद करने के नियमों का दुरुपयोग रोकने के लिए गृह मंत्रालय के साथ मिलकर एक स्पष्ट सिद्धांत तैयार करे।

आजादी

अर्थव्यवस्था के साथ प्रेस की आजादी पर पड़ता है असर

इंटरनेट शटडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान तो होता ही है, इसके साथ इसका असर प्रेस की आजादी और मानवाधिकारों पर भी पड़ता है। कश्मीर में इंटरनेट बंद होने के कारण वहां की जानकारियां सामने नहीं आईं। संयुक्त राष्ट्र ने 2016 में इंटरनेट एक्सेस को मौलिक मानवाधिकार माना था। हालांकि, भारत में केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां हाई कोर्ट के आदेश के बाद इंटरनेट को मौलिक अधिकार माना गया है।