'सबमिट' पर क्लिक करने से पहले ही टाइप किया गया डाटा जुटा लेती हैं वेबसाइट्स- स्टडी
इंटरनेट कमाल की चीज है और इससे जुड़ी नई बातें लगभग हर रोज सामने आती रहती हैं। रिसर्चर्स की ओर से की गई एक स्टडी में अब दावा किया गया है कि सबसे लोकप्रिय 10 लाख वेबसाइट्स में से ढेरों यूजर्स की ओर से 'सबमिट' करने से पहले ही ऑनलाइन फॉर्म्स से उनका डाटा जुटा लेती हैं। स्टडी में सामने आया है कि कई वेबसाइट्स तो बिना अनुमति लिए विजिटर्स के पासवर्ड्स भी कलेक्ट करती हैं।
लाखों वेबसाइट्स से जुड़ी रिसर्च के बाद दावा
लॉवेन रेडबाउड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ लॉजेन के रिसर्चर्स की ओर से की गई स्टडी में वेबसाइट्स का एनालिसिस करने वाले सिस्टम की मदद ली गई। रिसर्चर्स ने दो अलग-अलग लोकेशंस- यूरोपियन यूनियन और अमेरिका में टॉप 10 लाख वेबसाइट्स का एनालिसिस किया। सामने आया कि EU में करीब 1,844 वेबसाइट्स यूजर्स से अनुमति लिए बिना उनका डाटा जुटा रही थीं। वहीं, अमेरिका में इन वेबसाइट्स की संख्या 2,950 तक पहुंच जाती है।
सामने आए ढेरों नए वेबसाइट ट्रैकर्स
ज्यादातर मामलों में मेटा और टिक-टॉक जैसी कंपनियों के ट्रैकर्स ही टॉप वेबसाइट्स से यूजर्स का डाटा जुटा रहे थे। हालांकि, रिसर्चर्स को 41 नई तरह के ट्रैकर्स के बारे में पता चला, जिनके बारे में अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आई थी। सामने आया है कि इन ट्रैकर्स की मदद से 'सबमिट' बटन पर क्लिक करने से पहले ही विजिटर्स की ओर से टाइप किया गया डाटा जुटा लिया जाता है।
कई मामलों में सही वजह से जुटाया गया डाटा
स्टडी के दौरान रिसर्चर्स ने पाया कि कई मामलों को काउंट नहीं किया गया, जिनमें वेबसाइट्स सही वजहों से यूजर्स का डाटा जुटा रही थीं। कुछ वेबसाइट्स सबमिट किए जाने से पहले ईमेल एड्रेस जैसा डाटा इसलिए जुटाती हैं, जिससे वे चेक कर सकें कि ईमेल या यूजरनेम उनके मौजूदा डाटाबेस में पहले से मौजूद तो नहीं है। वहीं, बाकी मामलों में ऐसा ज्यादा से ज्यादा डाटा जुटाने और यूजर्स को टारगेटेड विज्ञापन दिखाने के लिए किया जा रहा है।
इन वेबसाइट्स पर लीक हो रहा था डाटा
अमेरिका में जिन टॉप-10 वेबसाइट्स से ईमेल एड्रेस ट्रैकर्स को लीक हो रहे थे, उनमें USAटुडे, बिजनेस इनसाइडर, फॉक्स न्यूज, टाइम और ट्रेलो शामिल हैं। वहीं, EU में ऐसी वेबसाइट्स की लिस्ट में इंडिपेंडेंट, शॉपिफाइ, न्यूजवीक और मैरिएट शामिल हैं। रिसर्चर्स को ऐसी 52 वेबसाइट्स का पता चला, जो डाटा सबमिट किए जाने से पहले यूजर्स के पासवर्ड्स भी जुटाती थीं। इन थर्ड पार्टीज में रूस की येन्डेक्स भी शामिल थी, जिसकी ओर से अब फिक्स रिलीज किया गया है।
ट्रैकर्स को ब्लॉक किए जाने की जरूरत
रिसर्चर्स ने पाया है कि ऐसे ट्रैकर्स को ब्लॉक किए जाने की जरूरत है और मौजूदा व्यवस्था में सुधार होना चाहिए। ऐपल और दूसरी बड़ी कंपनियों ने थर्ड-पार्टी कुकीज और ट्रैकर्स को ब्लॉक करना शुरू कर दिया है, जिससे यूजर्स को प्राइवेसी दी जा सके। हालांकि, वेबसाइट्स और इंटरनेट पर यूजर्स को ईमेल एड्रेस की मदद से ट्रैक करना मार्केटिंग करने वालों की मदद करता है और ट्रैकर ब्लॉकिंग उनकी परेशानी बढ़ा सकती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
डकडकगो, फायरफॉक्स और माइक्रोसॉफ्ट एज जैसे ब्राउजर्स बेहतर प्राइवेसी का वादा करते हुए ट्रैकर्स को ब्लॉक करते हैं। आप मौजूदा ब्राउजर के मुकाबले इनका इस्तेमाल करते हुए बेहतर प्राइवेसी पा सकते हैं। ये ब्राउजर्स डेस्कटॉप के अलावा मोबाइल डिवाइसेज के लिए भी उपलब्ध हैं।