सरकार के आदेश ने बढ़ाई VPN कंपनियों की परेशानी, छोड़ना पड़ सकता है भारत
भारत सरकार बीते दिनों साइबर सुरक्षा से जुड़े नए नियम लेकर आई है और इनका पालन ना करने वाले क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स और VPN ऑपरेटर्स पर कार्रवाई करेगी। नए नियमों में यूजर्स का डाटा भारत में स्टोर करने और लंबे वक्त तक उसे सुरक्षित रखने के आदेश दिए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिकी और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि VPN प्रोवाइडर्स के पास नई गाइडलाइन्स का पालन ना करने की स्थिति में देश छोड़ना ही एकमात्र विकल्प होगा।
पांच साल तक रखना होगा यूजर्स डाटा का रिकॉर्ड
साइबर सुरक्षा से जुड़े मामलों पर FAQs रिलीज करते हुए IT मंत्री ने कहा, "कोई भी भरोसेमंद और प्रतिष्ठित कंपनी सुरक्षित और भरोसेमंद इंटरनेट अनुभव देने में मदद करेगी।" उन्होंने कहा कि क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स, VPN फर्म्स, डाटा सेंटर कंपनियों और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर्स को कम से कम पांच साल के लिए यूजर्स डाटा का रिकॉर्ड रखना होगा। इलेक्ट्रॉनिकी और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइन्स में इस बदलाव से जुड़ी जानकारी और सुझाव दिए हैं।
लॉग्स तैयार करने की अनिवार्यता
समाचार एजेंसी PTI ने अपनी रिपोर्ट में नए बदलाव पर मंत्री के रवैये की जानकारी दी। IT मंत्री ने कहा, "किसी के पास भारत के नियम या कानून का पालन ना करने का विकल्प ही नहीं है। अगर आपके पास लॉग्स नहीं हैं, तो उन्हें मेनटेन करना शुरू कर दें। अगर आप एक VPN सेवा हैं, जो पहचान छुपाते हुए नए नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो आपके पास में देश छोड़ देने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है।"
VPN सेवाओं को रखना होगा यूजर्स का यह डाटा रिकॉर्ड
सरकार से जुड़ी एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम या CERT-In ने बताया है कि VPN प्रोवाइडर्स को यूजर्स का डाटा रिकॉर्ड रखना होगा। इस डाटा में यूजर्स के नाम, एड्रेस, कॉन्टैक्ट नंबर, सब्सक्रिप्शन पीरियड, ईमेल एड्रेस, IP एड्रेस और सेवा का इस्तेमाल करने की वजह जैसी जानकारी शामिल होनी चाहिए। बड़ा सवाल यह है कि जो यूजर्स अपनी पहचान छुपाकर इंटरनेट ब्राउजिंग करना चाहते हैं, वे अपने बारे में ढेर सारी जानकारी VPN सेवा प्रदाता को क्यों देंगे।
VPN सेवाओं से छुपा सकते हैं अपनी पहचान
VPN सेवाएं रिमोट सर्वर की मदद से यूजर्स को उनकी लोकेशन और IP एड्रेस जैसी जानकारी छुपाने का विकल्प देती हैं। इस तरह इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से अपनी पहचान छुपाते हुए इंटरनेट ऐक्सेस किया जा सकता है। इसके अलावा इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स और एथिकल हैकर्स VPN की मदद से ऐसी वेबसाइट्स ऐक्सेस कर पाते हैं, जो उनके देश में ब्लॉक की गई हैं। VPN का फायदा यह है कि इसके साथ यूजर को इंटरनेट पर ट्रैक नहीं किया जा सकता।
आप ऐसे करें सही VPN सेवा का चुनाव
स्मार्टफोन्स और PC यूजर्स के लिए कई फ्री और पेड VPN सेवाएं उपलब्ध हैं। अपने डिवाइस के लिए सही VPN का चुनाव करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। हमेशा मजबूत एनक्रिप्शन, सुरक्षा फीचर्स और अच्छे कस्टमर सपोर्ट वाले VPN का इस्तेमाल बेहतर होता है। एक गूगल सर्च पर आपको भरोसेमंद VPN ऐप्स और सेवाओं की लिस्ट मिल जाएगी। एक्सप्रेसVPN, नॉर्डVPN, सर्फशार्क, प्रोटॉनVPN और साइबरघोस्ट ऐसे ही कुछ नामों में शामिल हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या VPN यूजर्स को सुरक्षित ब्राउजिंग अनुभव देने के लिए उसके IP एड्रेस को मास्क कर देता है। इसके बाद डाटा को दूसरे एनक्रिप्टेड रूट से भेजा और रिसीव किया जाता है, जिससे थर्ड-पार्टी को सोर्स का पता नहीं चल पाता।