कोरोना वायरस के कारण गगनयान मिशन में हो सकती है एक साल की देरी

कोरोना वायरस महामारी ने बाकी चीजों के साथ-साथ भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन पर भी असर डाला है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने बताया कि कोरोना महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के कारण गगनयान मिशन की लॉन्चिंग में एक साल की देरी हो सकती है। ISRO पिछले काफी समय से अपने इस बेहद महत्वाकांक्षी अभियान की तैयारियों में जुटा हुआ है। पूरे देश के साथ-साथ दुनिया की निगाहें भी भारत के इस मिशन पर टिकी होंगी। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
गगनयान मिशन के तहत तीन एस्ट्रोनॉट्स को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी चल रही है। हालांकि, इस पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, इसका अंतिम निर्णय टेस्ट फ्लाइट के बाद लिया जाएगा। इन एस्ट्रोनॉट्स को लॉ अर्थ ऑरबिट में भेजा जायेगा। यह धरती से 2,00 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अधिकतर सैटेलाइट इसी ऑरबिट में भेजे जाते हैं। मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
गगनयान मिशन के तहत मानवयुक्त मिशन को अंतरिक्ष में भेजने से पहले दो मानवरहित मिशनों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना थी। पहले मानवरहित मिशन को दिसंबर 2020 और दूसरे को जून 2021 में भेजने की योजना बनाई गई थी। इसके बाद दिसंबर 2021 में मानव को पहली बार अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कोरोना के कारण योजना बदल गई है। ISRO अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि कोरोना के कारण इसमें देरी होगी।
जब सिवन से पहले मानवरहित मिशन की संभावित समयसीमा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसे अगले साल के अंत या उससे अगले साल यानी 2022 में भेजा जा सकता है। यानी पूरे मिशन में कम से कम एक साल की देरी होगी। मानवरहित मिशनों में हाफ ह्यूमनॉयड (इंसान से मिलता-जुलता रोबोट) भेजा जाएगा। ISRO ने कुछ समय पहले इस ह्यूमनॉयड की झलक दिखाई थी। यह एक 'महिला' है और इसका नाम व्योममित्र रखा गया है।
इससे पहले ISRO ने पिछले महीने बताया था कि गगनयान मिशन के लिए GSLV Mk III प्रक्षेपण वाहन को चुना गया है। इसके जरिये एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। गगनयान मिशन के साथ-साथ ISRO दूसरे मिशनों की तैयारी में भी जुटा हुआ है।
सिवन ने बताया कि ISRO चंद्रयान-3 पर भी काम कर रहा है। हालांकि, इसकी लॉन्चिंग की समयसीमा अभी तक तय नहीं की गई है। इस मिशन के तहत एक 'लैंडर' और 'रोवर' को चांद की सतह पर भेजा जाएगा। सितंबर में खबरें आई थीं कि ISRO 2021 की शुरुआत में चंद्रयान-3 लॉन्च कर सकता है। इस मिशन की तैयारियों जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार इसमें ऑर्बिटर नहीं भेजा जाएगा। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर ही इसके लिए काम करेगा।
बता दें कि चंद्रमा की सतह पर उतरने के लक्ष्य के साथ ISRO ने पिछले साल 22 जुलाई को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था। इसने अपने कई चरणों को सफलतापूर्वक पूर्ण किया था लेकिन अंत में लैंडर सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर पाया। अधिक स्पीड होने के कारण विक्रम लैंडर की चंद्रमा की सतह पर क्रैश लैंडिंग हुई थीं और उसका ISRO से संपर्क टूट गया था। बाद में यह संपर्क स्थापित नहीं हो पाया था।