चांद पर उतरने की दोबारा कोशिश करेगा ISRO, सिवन बोले- असफलता ही सफलता की नींव
भले ही भारत का चांद की सतह पर उतरने का प्रयास सफल नहीं हुआ, लेकिन ISRO ने कोशिशें नहीं छोड़ी हैं। ISRO प्रमुख के सिवन ने दिल्ली IIT के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आप असफल नहीं हो रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आप मेहनत नहीं कर रहे हैं। चंद्रयान-2 के बारे में बात करते हुए सिवन ने कहा कि ISRO दोबारा चांद पर उतरने की कोशिश करेगा।
दोबारा चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा ISRO- सिवन
IIT के दीक्षांत समारोह में सिवन ने कहा, "आप सबने चंद्रयान-2 मिशन के बारे में सुना होगा। तकनीकी तौर पर हम सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सके, लेकिन इसके सभी सिस्टम चांद की सतह के 300 मीटर ऊपर तक काम कर रहे थे। हमारे पास चीजों को सही करने के लिए बहुत डाटा है। मैं आपको भरोसा देता हूं कि ISRO अपना सारा अनुभव, ज्ञान और तकनीकी हुनर लगाकर भविष्य में चांद की सतह पर उतरेने में कामयाब होगा।"
असफलता ही भविष्य की सफलता का मंत्र- सिवन
सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 कहानी का अंत नहीं है। ISRO के आदित्य L1 सोलर मिशन, गगनयान मिशन समेत सारे मिशन सही गति से आगे बढ़ रहे हैं। गौरतलब है कि गगनयान मिशन के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि ISRO के लोगों में सफल होने की इच्छा है। यही सफलता का मंत्र है। इस समय की असफलताएं भविष्य की सफलताओं की नींव है।
चांद पर उतरने की भारत की पहली कोशिश थी चंद्रयान-2
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश की थी। इस मिशन में एक ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को भेजा गया था। ऑर्बिटर सफलतापूर्वक चांद के चारों ओर चक्कर लगा रहा है, वहीं 7 सितंबर को विक्रम का चांद की सतह पर उतरने से महज 90 सेकंड पहले कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था। इस तरह भारत अपनी इस पहली कोशिश में सफल नहीं हो पाया।
तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं हो पाया विक्रम से संपर्क
ISRO ने विक्रम से संपर्क साधने की तमाम कोशिशें की थी। इस काम में NASA ने भी उसकी मदद की थी, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी। अब विक्रम से संपर्क होने की सारी संभावनाएं खत्म हो चुकी है क्योंकि चांद पर रात होने के कारण तापमान बेहद कम हो जाता है। माना जा रहा है कि इतने कम तापमान में विक्रम में लगे सारे उपकरण खराब हो गए हैं। इसके अलावा विक्रम का जीवनकाल केवल 14 दिन का था।