एक्सप्रेस VPN ने नहीं मानी सरकार की बात, इस वजह से छोड़ दिया भारत
दुनिया की सबसे बड़ी VPN सेवाओं में से शामिल एक्सप्रेस VPN ने भारत में अपनी सेवाएं देना बंद कर दिया है। दरअसल, भारत सरकार हाल ही में नए नियम लेकर आई है, जिनमें VPN सेवाएं देने वाली कंपनियों को यूजर्स का रिकॉर्ड रखने के लिए कहा गया है। कंपनियों को कम से कम पांच साल के लिए ये रिकॉर्ड्स रखने के निर्देश दिए गए हैं। एक्सप्रेस VPN ने सरकार की बात मानने से इनकार करते हुए भारत छोड़ दिया है।
VPN कंपनियों को दिए गए हैं दो विकल्प
सरकार ने VPN सेवाएं देने वाली कंपनियों से कहा था कि उनके पास साइबर सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन करने या फिर देश छोड़ देने, के दो विकल्प हैं। एक्सप्रेस VPN ने दूसरा विकल्प चुना और अपनी सेवाएं देने के तरीके में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि, भारतीय यूजर्स को अब भी VPN सर्वर से कनेक्ट करने का विकल्प मिलता रहेगा, लेकिन उन्हें भारतीय IP एड्रेस दिए जाएंगे। ये वर्चुअल भारतीय सर्वर्स फिजिकली सिंगापुर और UK में मौजूद होंगे।
न्यूजबाइट्स प्लस
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क या VPN यूजर्स को सुरक्षित ब्राउजिंग अनुभव देने के लिए उसके IP एड्रेस को मास्क कर देता है। इसके बाद डाटा को दूसरे एनक्रिप्टेड रूट से भेजा और रिसीव किया जाता है, जिससे थर्ड-पार्टी को सोर्स का पता नहीं चल पाता।
भारतीय सर्वर से ऐसे कनेक्ट कर पाएंगे यूजर्स
कंपनी ने बताया है कि यूजर्स को मिलने वाले इंटरफेस में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, लेकिन वे विदेशी सर्वर की लोकेशन नहीं चुन सकेंगे। जो यूजर्स VPN सेवाएं इस्तेमाल करना चाहते हैं, उन्हें भारतीय सर्वर का चुनाव करना होगा। वे VPN सर्वर लोकेशन में से 'इंडिया (वाया सिंगापुर)' या 'इंडिया (वाया UK)' चुन पाएंगे। बता दें, कंपनी पिछले कई साल से 'इंडिया (वाया UK)' का विकल्प देती रही है।
ऐसे काम करती है वर्चुअल लोकेशन
वर्चुअल लोकेशन के साथ रजिस्टर्ड IP एड्रेस उस देश से मेल खाता है, जिसका चुनाव यूजर करता है, जबकि सर्वर किसी और देश में होता है। इस तरह असली पहचान छुपाकर तेज और भरोसेमंद कनेक्शन दिया जाता है।
यूजर्स को दिया प्राइवेसी का भरोसा
भारतीय ग्राहकों के साथ शेयर किए गए एक ब्लॉग पोस्ट में एक्सप्रेस VPN ने प्राइवेसी पर भरोसा दिलाया। कंपनी ने लिखा, "भारत में रहने वाले इंटरनेट यूजर्स एक्सप्रेस VPN का इस्तेमाल इस भरोसे पर कर सकते हैं कि उनके ऑनलाइन ट्रैफिक का लॉग नहीं रखा जा रहा या फिर इसे स्टोर नहीं किया जा रहा और उनकी सरकार इसे मॉनीटर नहीं कर रही है।" एक्सप्रेस VPN ने कहा कि वह इंटरनेट फ्रीडम पर रोक लगाने के पक्ष में नहीं है।
कंपनियों को रखना होगा यूजर्स का यह डाटा
सरकार से जुड़ी एजेंसी इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम या CERT-In ने बताया है कि VPN प्रोवाइडर्स को यूजर्स का डाटा रिकॉर्ड रखना होगा। इस डाटा में यूजर्स के नाम, एड्रेस, कॉन्टैक्ट नंबर, सब्सक्रिप्शन पीरियड, ईमेल एड्रेस, IP एड्रेस और सेवा का इस्तेमाल करने की वजह जैसी जानकारी शामिल होनी चाहिए। सवाल यह है कि जो यूजर्स अपनी पहचान छुपाकर इंटरनेट ब्राउजिंग करना चाहते हैं, वे अपने बारे में ढेर सारी जानकारी VPN सेवा प्रदाता को क्यों देंगे।
क्यों पड़ती है VPN सेवाओं की जरूरत?
VPN सेवाएं रिमोट सर्वर की मदद से यूजर्स को उनकी लोकेशन और IP एड्रेस जैसी जानकारी छुपाने का विकल्प देती हैं। इस तरह इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से अपनी पहचान छुपाते हुए इंटरनेट ऐक्सेस किया जा सकता है। इसके अलावा इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स और एथिकल हैकर्स VPN की मदद से ऐसी वेबसाइट्स ऐक्सेस कर पाते हैं, जो उनके देश में ब्लॉक की गई हैं। VPN का फायदा यह है कि इसके साथ यूजर को इंटरनेट पर ट्रैक नहीं किया जा सकता।