फोन की लत छुड़ाने वाली ऐप्स होती हैं कारगर, शोध में आया सामने
स्मार्टफोन की तल से बहुत लोग परेशान हैं। कई लोगों को तो एहसास भी नहीं होता है कि उन्हें इसकी लत लग चुकी है। इस लत से लोग तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो गए। फोन में लोग सोशल मीडिया पर लोग ज्यादा समय बिताते हैं। सैन डिएगो विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने शोध में पाया कि इससे डिप्रेशन, नींद में परेशानी और सुसाइड जैसे खतरे पैदा होते हैं। लोगों के साथ ही टेक कंपनियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।
लोगों को जोड़े रखने के तरीके पर काम करती हैं ऐप कंपनियां
कंपनियां लोगों को लंबे समय तक जोड़े रखने के लिए अपने ऐप्स को डिजाइन करने में काफी ध्यान देती हैं। फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग ने 2011 में ही कहा था कि वह यूजर्स कोई भी परेशानी रहित अनुभव देना चाहते हैं। लोगों की फोन की लत को छुड़ाने के लिए विश्वभर में कई ट्रेनर और सेंटर्स काम कर रहे हैं। कई ऐप भी हैं, जो लोगों की फोन की लत छुड़ाने के लिए काम कर रही हैं।
शोधकर्ताओं ने लत छुड़ाने वाली ऐप्स को पाया उपयोगी
वन सेक नाम की एक ऐप फोन की लत और स्क्रीन टाइम को कम करने में मदद करती है। इस ऐप को इस्तेमाल करने वाले जब अपना फोन खोलते हैं तो ये उन्हें पहले सांस लेने को कहती है। 2022 में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट और हीडलबर्ग यूनिवर्सिटी के साथ किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन्होंने 6 सप्ताह तक इस ऐप का इस्तेमाल किया, उनके अन्य ऐप के उपयोग में 57 प्रतिशत की कमी आई।
स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने के ये हैं दुष्परिणाम
मनोचिकित्सकों का मानना है कि एक दिन में स्क्रीन के सामने 6 घंटे से अधिक समय बिताने वाले युवाओं में अवसाद, याद्दाश्त की कमी और तनाव का खतरा अधिक होता है। मनोचिकित्सकों का मानना है कि अधिकांश लोग फोन की लत के नकारात्मक पक्ष को समझते हैं, लेकिन छोड़ नहीं पाते। लोग जरूरी काम के लिए फोन खोलते हैं फिर उसमें कब घंटे बीत जाते हैं इसका पता भी नहीं चलता। फोन की लत पता करने के भी तरीके हैं।
लत छुड़ाने वाली ऐप्स लोगों को देती हैं दूसरे टास्क
स्मार्टफोन की लत छुड़ाने वाली ऐप मनोवैज्ञानिक तरीके से काम करती हैं। ये आपको सीधे किसी ऐप पर जाने से रोकती हैं और कुछ टास्क पूरा करने के लिए कहती हैं। इनका उद्देश्य है कि इस दौरान लोग सोच सकें कि जिस ऐप पर जा रहे हैं उसकी उन्हें वास्तव में कितनी जरूरत है। तेज स्पीड इंटरनेट के चलते लोग फोन पर और अधिक समय बिता रहे हैं। इसके लिए कुछ कंपनियां "स्पीड बंप्स" लाने की तैयारी में हैं।
फोन की लत ने रचनात्मकता और सोचने की आदत को खत्म किया
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ट्रिक्स और हैक्स के जरिए फोन की लत छोड़ना कठिन है। इसके लिए फोन को खुद से पूरी तरह दूर रखने की आवश्यकता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में मार्केटिंग प्रोफेसर एडम ऑल्टर ने बताया कि फोन की लत से न केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि हमारे सोचने की क्षमता भी दांव पर लगी है। खाली समय में कुछ सोचने और रचनात्मकता कार्य को फोन ने खत्म किया है।