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    #NewsBytesExplainer: भारत में जल्द लॉन्च हो सकता है स्टारलिंक, जानें क्या है इसका काम
    स्टारलिंक को भारत में लॉन्च किए जाने का इशारा एलन मस्क ने दिया है (तस्वीर: स्टारलिंक)

    #NewsBytesExplainer: भारत में जल्द लॉन्च हो सकता है स्टारलिंक, जानें क्या है इसका काम

    लेखन रजनीश
    Jun 23, 2023
    05:27 pm

    क्या है खबर?

    टेस्ला, स्पेस-X जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क ने अमेरिका दौरे पर गए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक को भारत में भी लॉन्च करने का संकेत दिया।

    एक रिपोर्ट के मुताबिक, मस्क ने स्टारलिंक की क्षमता के बारे में कहा कि यह उन दूरदराज और ग्रामीण इलाकों के लिए सहायक हो सकता है, जहां इंटरनेट नहीं है या स्पीड धीमी है।

    जान लेते हैं स्टारलिंक और इसके काम के बारे में।

    स्टारलिंक

    स्पेस-X देती है स्टारलिंक नाम से सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस

    मस्क की अंतरिक्ष कंपनी स्पेस-X स्टारलिंक नाम से सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रदान करती है।

    अभी लोगों को इंटरनेट की सुविधा या तो मोबाइल टावर से प्राप्त होने वाले नेटवर्क से मिलती है या फिर फाइबर केबल से मिलती है। इंटरनेट प्रदान करने वाले इन दोनों ही माध्यमों की अपनी सीमाएं हैं।

    उदाहरण के लिए जंगली, पहाड़ी, समुद्री इलाकों में मोबाइल टावर और फाइबर न होने से इंटरनेट नहीं मिलता।

    इसके उलट स्टारलिंक सीधे सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट प्रदान करती है।

    सैटेलाइट

    40 देशों में है स्टारलिंक की सर्विस

    मस्क की स्पेस-X अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजती है और फिर उसके जरिए लोगों को सीधे इंटरनेट की सुविधा प्रदान करती है।

    स्पेस-X ने अब तक 4,000 से अधिक सैटेलाइट भेजा है। इनके जरिए स्टारलिंक लगभग 40 देशों में सैटेलाइट इंटरनेट की सुविधा प्रदान कर रही है।

    स्टारलिंक नेटवर्क परियोजना के तहत स्पेस-X के पास वर्तमान में 12,000 सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित करने की अनुमति है। स्पेस-X इन सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करती है।

    किट

    ऐसे मिलता है सैटेलाइट इंटरनेट

    सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए स्टारलिंक अपने ग्राहकों को एक किट देती है। इस किट में डिश टीवी की तरह एक छतरी, वाई-फाई राउटर, पावर सप्लाई, केबल और एक माउंटिंग ट्राइपॉड होता है।

    इसकी छतरी को भी डिश टीवी की छतरी की तरह ही घर की छत या बाहरी हिस्से में लगाना होता है। ये सैटेलाइट से सिग्नल पाता है और फिर वाई-फाई राउटर के जरिए इंटरनेट की सर्विस मिलती है।

    सर्विस

    बंद करनी पड़ी थी स्टारलिंक की प्री-बुकिंग

    मस्क इससे पहले भारत में स्टारलिंक को शुरू करने का प्रयास कर चुके हैं। इसकी सर्विस के लिए प्री-बुकिंग भी शुरू कर दी गई थी, लेकिन सरकार ने यह कहते हुए रोक लगा दी कि कंपनी ने मंजूरी नहीं ली है।

    कई लोगों ने इसकी सर्विस के लिए प्री-बुकिंग कर भी लिया था। हालांकि, कंपनी ने उनका पैसा रिफंड करने की बात कही थी।

    अब एक बार फिर भारत में स्टारलिंक को लॉन्च किए जाने की चर्चा तेज है।

    जानकारी

    वनवेब भी भारत में लॉन्च कर सकती है सर्विस

    स्टारलिंक की तरह ही सैटेलाइट सर्विस देने वाली एक दूसरी कंपनी वनवेब भी सितंबर से भारत में सैटेलाइट आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस शुरू करने को तैयार है। हाल ही में वनवेब के अधिकारियों ने अपनी आगामी योजना और परमिट से जुड़ी जानकारी दी थी।

    जियो

    सैटेलाइट इंटनरेट से जियो को लग सकता है झटका

    कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि सैटेलाइट इंटरनेट की शुरुआत से मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो को बड़ा झटका लग सकता है।

    जियो को ठीक उसी तरह मुश्किल हो सकती है, जिस तरह उसने 4G इंटरनेट लॉन्च करके बाकी कंपनियों का बाजार हिला दिया था।

    दरअसल, जियो हाई स्पीड इंटरनेट में बड़ा निवेश कर रही है और स्टारलिंक, वनवेब की एंट्री से देश में कोने-कोने में हाई स्पीड इंटरनेट मिल सकता है।

    संसाधान

    सैटेलाइट इंटरनेट से हर जगह उपलब्ध होगा हाई-स्पीड इंटरनेट

    पहाड़ी, जंगली इलाकों में मोबाइल टावर लगाना और इनकी देखभाल कठिन होती है, लेकिन सैटेलाइट इंटरनेट में ऐसी मुश्किल नहीं है और न ही टावर या तार का जाल बिछाना है।

    सैटेलाइट इंटरनेट आसानी से और कम संसाधन में उपलब्ध हो जाएगा। इससे समुद्र में, चलती कार में, हवाई जहाज में, जंगल, पहाड़ में भी आसानी से इंटरनेट मिल जाएगा।

    रूस ने युद्ध में यूक्रेन का इंटरनेट सिस्टम ध्वस्त कर दिया, लेकिन सैटेलाइट इंटरनेट से कनेक्टिविटी मिलती रही है।

    मांग

    स्टारलिंक और वनवेब की है ये मांग

    सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियों को सैटकॉम भी कहते हैं।

    स्टारलिंक और वनवेब जैसी सैटकॉम कंपनियां भारत से स्पेक्ट्रम की नीलामी न करने बल्कि ग्लोबल ट्रेंड के अनुरूप लाइसेंस आवंटित करने की मांग कर रही हैं।

    इनका कहना है कि स्पेक्ट्रम एक प्राकृतिक संसाधन है और इस पर सभी कंपनियों का हक होना चाहिए। अन्य दूरसंचार ऑपरेटर जियो जैसी कंपनियां स्पेक्ट्रम की नीलामी चाहती हैं।

    उनका कहना है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी न होने से प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी।

    कीमत

    अमेरिका में स्टारलिंक सर्विस की कीमत है इतनी

    एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार स्पेक्ट्रम नीलामी में भौगोलिक प्रतिबंध लगा सकती है और इससे लागत बढ़ जाएगी।

    माना जाता है कि भारत में नीलामी प्रक्रिया की वजह से ही इंटरनेट काफी सस्ती कीमत में उपलब्ध है।

    स्टारलिंक की अमेरिका में कीमत करीब 7,000 रुपये प्रति महीना है। भारत में ये अपनी सर्विस के लिए कितना चार्ज लेगा अभी इसकी कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

    हालांकि, मोबाइल और फाइबर इंटरनेट के मुकाबले महंगा हो सकता है।

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