
अलविदा 2019: मिशन शक्ति से लेकर चंद्रयान-2 तक, ISRO ने हासिल की ये उपलब्धियां
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस साल कई बड़ी उपलब्धियां अपने नाम की।
हालांकि, चांद पर उतरने की ISRO की पहली कोशिश पूरी तरह सफल नहीं हो सकी, लेकिन इसने अपनी काबिलियत को लोहा पूरी दुनिया को मनवा दिया।
एक साथ कई सैटेलाइट लॉन्च करने से लेकर एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफलतापूर्वक टेस्ट ISRO की सफलता को बयान करते हैं।
आइये, जानते हैं कि ISRO ने इस साल अपने ताज में कौन-कौन से हीरे जड़े।
जनवरी
दो सैटेलाइट लॉन्चिंग से की साल की शुरुआत
ISRO ने इस साल की शुरुआत दो सैटेलाइट की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग से की। ISRO ने 24 जनवरी, 2019 को ISRO ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) का इमेजिंग सैटेलाइट माइक्रोसैट आर और छात्रों का सैटेलाइट कलामसैट शामिल है।
फरवरी में ISRO ने फ्रेंच गुयाना के स्पेस सेंटर से G-SAT 31 को लॉन्च किया। यह भारत का 40वां कम्यूनिकेशन सैटेलाइट है। यह भू-स्थिर कक्षा में केयू ब्रांड ट्रांसपोंडर क्षमता को भी बढ़ाएगा।
मिशन शक्ति
मार्च में किया एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफलापूर्वक टेस्ट
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 मार्च को देश के नाम संबोधन में 'मिशन शक्ति' की जानकारी दी थी।
इस मिशन में वैज्ञानिकों ने लॉ अर्थ ऑरबिट (धरती से 2,000 किलोमीटर ऊपर) में एक लाइव सैटेलाइट को एंटी-सैटेलाइट मिसाइल में महज तीन मिनट में उड़ा दिया था।
अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश है। ISRO और DRDO ने मिलकर इस मिसाइल को विकसित किया था।
अप्रैल
तीन अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किए एक साथ छोड़े गए सैटेलाइट
ISRO ने एक अप्रैल को एक और बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए श्रीहरिकोटा से 29 नैनो सैटेलाइट्स को लॉन्च किया था। इनमें भारत का एक सैटेलाइट एमिसैट, अमेरिका के 24 सैटेलाइट, लिथुवानिया के 2 और स्विटजरलैंज, स्पेन के एक-एक सैटेलाइट शामिल थे।
इस मिशन में ISRO ने तीन अलग-अलग कक्षाओं में सैटेलाइट स्थापित किए।
ISRO ने पहली बार इस लॉन्चिंग को आम लोगों के लिए खोला था। हजारों लोगों ने इस लॉन्चिंग को देखा था।
मई
श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया RISAT-2B
ISRO ने 22 मई को श्रीहरिकोटा से हर मौसम के रडार इमेजिंग पृथ्वी निगरानी उपग्रह 'RISAT-2B' को सफलतापूर्व लॉन्च किया।
यह RISAT सीरीज का चौथा सैटेलाइट था, जिसे पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया।
यह सैटेलाइट खुफिया निगरानी, कृषि, वन और आपदा प्रबंधन सहयोग जैसे क्षेत्रों में मदद करेगा। RISAT-2B 2009 में भेजे गए RISAT-2 की जगह लेगा।
इस सैटेलाइट की खास बात यह है कि यह हर मौसम में साफ और सही तस्वीरें ले सकता है।
चंद्रयान-2
चांद पर उतरने की पहली कोशिश थी चंद्रयान-2
ISRO ने जुलाई में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था। यह भारत की चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश थी।
इसके तहत एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को भेजा गया था। लैंडिंग से कुछ सेकंड पहले लैंडर का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था, जिसके बाद उससे संपर्क की सारी कोशिशें बेकार हुई।
भले ही भारत चांद की सतह पर नहीं उतर पाया, लेकिन उसने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल कर लीं, जो आगे के मिशन में सहायता करेगी।
नवंबर
नवंबर में लॉन्च किया कार्टोसैट-3
ISRO ने 27 नवंबर को निगरानी और मैप सैटेलाइट कार्टोसैट-3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया।
यह पड़ोसी देशों पर नजर रखने में सेना के लिए अहम भूमिका निभाएगा। कहा जा रहा है कि सर्जिकल और एयर स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन में यह सैटेलाइट जरूरी भूमिका निभा सकता है।
कार्टोसैट-3 के साथ अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए हैं। इनका कमर्शियल इस्तेमाल किया जाएगा।
चंद्रयान-2 के बाद ISRO का यह पहला बड़ा लॉन्चिंग अभियान था।