क्या अमेरिकी ने की थी भारत के एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण की जासूसी?
भारत ने हाल ही में एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। भारत यह तकनीक हासिल करने वाला दुनिया का मात्र चौथा देश बना था। अब खबरें आ रही हैं कि अमेरिका ने भारत के इस अभियान की जासूसी की थी। हालांकि अमेरिका इससे इनकार कर रहा है और उसका कहना है कि उसे परीक्षण के बारे में पहले से ही पता था, लेकिन उसने जासूसी नहीं की। आइए पूरा मामला जानते हैं।
पेंटागन का आरोपों से इनकार
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन कहा, "अमेरिका भारत की जासूसी नहीं कर रहा था। बल्कि अमेरिका तो भारत के साथ अपने सहयोग को बढ़ाना चाहता है।" बता दें कि भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद ASAT तकनीक हासिल करने वाला चौथा देश है।
बंगाल की खाड़ी में थे अमेरिका के टोही विमान
दरअसल, सेनाओं के हवाई गतिविधि पर नजर रखने वाले 'एयरक्राफ्ट स्पॉट्स' ने खुलासा किया था कि भारत के ASAT परीक्षण की निगरानी करने के लिए अमेरिकी वायुसेना के टोही विमानों को डिएगो गार्सिया में उनके बेस से बंगाल की खाड़ी में भेजा गया था। अमेरिका की इस गतिविधि को विशेषज्ञों ने जासूसी माना था। उनका कहना है कि अमेरिका को टेस्ट के बारे में पहले से पता था और संभव है कि वह जासूसी कर रहा हो।
अमेरिका ने नकारी जासूसी की बात
आरोपों के जवाब में पेंटागन ने परीक्षण की पहले से जानकारी होने की बात तो मानी है, लेकिन जासूसी करने के आरोपों को नकारा है। पेंटागन ने कहा, "भारत के उड़ानों पर रोक लगाने और पहले से उपलब्ध जानकारी के कारण हमें पता था कि ऐसा कुछ होने वाला है।" पेंटागन ने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच इतना मजबूत संबंध है कि कोई भी विषय इससे परे नहीं। दोनों ही देश विवादों के शांतिपूर्वक निपटारे पर यकीन करते हैं।"
क्या है एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण?
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को देश के नाम संबोधन में 'मिशन शक्ति' नामक ASAT परीक्षण के सफल होने की घोषणा की थी। इस परीक्षण में वैज्ञानिकों ने एक एंटी-सैटेलाइट मिसाइल की मदद से खुद के ही एक सैटेलाइट को मार गिराया। यह सैटेलाइट पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा में 300 किलोमीटर ऊपर घूम रहा था। भविष्य में किसी दुश्मन देश से खतरा होने पर भारत उसके सैटेलाइट को गिराकर बढ़त हासिल करने की क्षमता रखता है।