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भारतीय वैज्ञानिक ने खोजी दहन से जुड़ी विश्व की सबसे तेज लेजर शीट इमेजिंग तकनीक
दुनिया की सबसे तेज लेजर शीट इमेजिंग तकनीक की खोज करने वाले भारतीय वैज्ञानिक योगेश्वर मिश्रा

भारतीय वैज्ञानिक ने खोजी दहन से जुड़ी विश्व की सबसे तेज लेजर शीट इमेजिंग तकनीक

लेखन रजनीश
Mar 04, 2023
12:54 pm

क्या है खबर?

भारतीय वैज्ञानिक अपनी खोज के जरिये दुनियाभर में भारत का नाम करते रहते हैं। अब एक युवा वैज्ञानिक योगेश्वर नाथ मिश्रा ने दुनिया की सबसे तेज लेजर शीट इमेजिंग तकनीक का अविष्कार कर देश का नाम रोशन किया है। योगेश्वर कैलिफोर्निया में नासा कैलटेक की टीम का हिस्सा हैं। यह अविष्कार आग की लौ में मौजूद नैनोपार्टिकल्स का अध्ययन करने में मदद करेगा। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के रहने वाले योगेश्वर का कैलिफॉर्निया तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था।

सफर

एपीजे अब्दुल कलाम से प्रभावित हुए योगेश्वर

योगेश्वर के पिता एक किसान हैं, जिन्होंने बेटे को उसके सपने को हसिल करने के लिए बहुत त्याग किया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, योगेश्वर ने बताया, "छोटी उम्र से ही मैं विज्ञान की दुनिया से आकर्षित था। दिवंगत अंतरिक्ष वैज्ञानिक और पूर्व भारतीय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से मैं काफी ज्यादा प्रेरित किया हुआ।" अब योगेश्वर ने जो अपनी खोज में जो हासिल किया, उससे दहन की समझ में एक महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है।

संघर्ष

गर्व का क्षण था अर्लिंगटन यूनिवर्सिटी में पढ़ना- योगेश्वर

शोध वैज्ञानिक योगेश्वर अब्दुल कलाम के अलावा कल्पना चावला और सीवी रमन से भी काफी प्रेरित हैं। उनके लिए यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, अर्लिंगटन में अध्ययन करना गर्व का क्षण था। यहीं से दिवंगत अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला ने भी पढ़ाई की थी। उन्होंने कहा, "टेक्सास यूनिवर्सिटी में कल्पना चावला हॉल में घूमना मेरे लिए एक भावनात्मक क्षण था। मेरी पढ़ाई में दिक्कत न आए, इसके लिए मेरे पिता और परिवार ने जमीन बेचने सहित कई संघर्ष किए।"

फोटो

1,250 करोड़ फ्रेम प्रति सेकंड फोटो खींचने में सक्षम है कैमरा

योगेश्वर ने अपनी खोज के बारे में कहा, "जब फोटो खींचने की बात आती है तो सामान्य कैमरे 30 फ्रेम प्रति सेकंड के हिसाब से फोटो खींच पाते हैं। हमने प्रति सेकंड 1,250 करोड़ फ्रेम हासिल किए हैं। यह एक विमान की टू-डाइमेंशनल जानकारी देता है। योगेश्वर ने बताया कि इमेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले आधुनिक अल्ट्रा-फास्ट कैमरे लाख फ्रेम प्रति सेकंड तक सीमित हैं, लेकिन उनके द्वारा बनाया गया कैमरा प्लानर इमेजिंग के लिए सबसे तेज कैमरा है।

असर

योगेश्वर की खोज से जहाज और रॉकेट के इंजन की परफॉर्मेंस हो सकती है बेहतर

आमतौर पर प्रकाश की उत्पत्ति और यह कहां जाता है, सिर्फ इतना ही देख सकते हैं, लेकिन इसकी गति का पता लगाना असंभव है। नई तकनीक प्रकाश को एक्शन में देखने में मदद करता है कि प्रकाश किसी मैटेरियल या माध्यम में कैसे यात्रा करता है। यह सब 1,250 करोड़ फ्रेम प्रति सेकंड की क्षमता के कारण संभव है। योगेश्वर के अनुसार, इस खोज से जहाज और रॉकेट के इंजन परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।

कालिख

इंजनों से बनने वाली कालिख स्वास्थ्य और ग्लोबल वार्मिंग के लिए खतरा

योगेश्वर ने यह भी कहा कि इंजनों का ईंधन जलने से कालिख बनती है और ये नैनोकणों (अति सूक्ष्म) में बनती है। रक्तप्रवाह में जाने से यह कई तरह के स्वास्थ्य खतरे पैदा करती है। यह कालिख ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने और ग्लेशियर पिघलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। कालिख बनने की प्रक्रिया पॉली एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAH) से शुरू होती है जो नैनो-आकार के कण होते हैं। ये कालिख से ठीक पहले बनते हैं।

बायोमेडिकल

अन्य क्षेत्रों के लिए साबित हो सकता है वरदान

अल्ट्रा-फास्ट इमेजिंग से यह ट्रैक कर सकते हैं कि PAH कैसे कालिख कणों के निर्माण के लिए जिम्मेदार है। योगेश्वर ने बताया कि अल्ट्रा-फास्ट इमेजिंग बायोमेडिकल इमेजिंग या प्रकाश से प्रेरित किसी भी प्रक्रिया को ट्रैक करने के लिए भी वरदान साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि नई प्रणाली मौजूदा इमेजिंग सिस्टम की तुलना में काफी कम लागत वाली है। योगेश्वर ने कहा कि कैलटेक में उनके साथी काफी सहयोगी रहे और उनके अविष्कार के लिए महत्वपूर्ण थे।