आदित्य-L1: ISRO ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया भारत का पहला सौर मिशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आदित्य-L1 मिशन को आज (2 सितंबर) सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। भारत के पहले सौर मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सुबह 11:50 बजे लॉन्च व्हीकल PSLV-C57 से लॉन्च किया गया। PSLV का दूसरा और तीसरा चरण सफलतापूर्वक यान से अलग भी हो गया है। इसके साथ ही सेपरेशन की प्रक्रिया भी अब खत्म हो गई है। ISRO के मुताबिक, अंतरिक्ष यान का अभी तक का प्रदर्शन सामान्य है।
आदित्य-L1 को अपने ठिकाने तक पहुंचने में लगेंगे 125 दिन
आदित्य-L1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर पृथ्वी-सूर्य सिस्टम के लाग्रेंज बिंदु 1 या L1 बिंदु पर स्थापित होगा। यह दूरी धरती से सूरज की दूरी का लगभग 1 प्रतिशत है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। ISRO के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है कि आदित्य-L1 सूर्य का अध्ययन करने के लिए है और इसे अपने ठिकाने तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे।
क्या है L1 बिंदु का महत्व?
यह मिशन न सूरज पर लैंड करेगा और न ही सूरज के पास जाने की कोशिश करेगा। ऐसे समझें कि L1 बिंदु पृथ्वी से ऊपर और सूरज से काफी पहले एक ऐसा बिंदु है जहां सूरज के ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता। इसी L1 बिंदु के हेलो ऑर्बिट में आदित्य-L1 सैटेलाइट को रखा जाएगा। यहां से बिना ग्रहण के प्रभाव के लगातार सूरज की मॉनिटरिंग की जा सकेगी और रियल टाइम में सौर गतिविधियों की जानकारी मिलती रहेगी।
ऐसा होगा आदित्य-L1 का सफर
आदित्य-L1 मिशन पहले लो अर्थ ऑर्बिट में भेजा जाएगा और फिर इसे अंडाकार ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे इसकी ऑब्जर्वेटरी कक्षा को बढ़ाया जाएगा। इस प्रक्रिया के जरिए आदित्य-L1 को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकाला जाएगा। इसके बाद से क्रूज चरण शुरू होगा और आदित्य-L1 को लाग्रेंज पॉइंट (L1) के हेलो ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया को पार करते हुए आदित्य-L1 अपने ठिकाने तक लगभग 4 महीने में पहुंचेगा।
भेजे गए पेलोड से मिलेगी ये जानकारी
इस मिशन में भेजे गए 7 पेलोड में 4 पेलोड रिमोट सोलर सेंसिंग यानी सूर्य को मॉनिटर करने का काम करेंगे और 3 पेलोड इन-सीटू प्रयोग के लिए हैं। इन पेलोड द्वारा भेजे गए डाटा के जरिए सूर्य के रहस्यों को समझने, रियल टाइम में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने में मदद मिलेगी। इससे कोरोनल हीटिंग, सूर्य के सतह पर होने वाले विस्फोटों और सोलर विंड के बारे में भी कई नई जानकारियां मिलेंगी।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
आदित्य-L1 मिशन का बजट 1,000 करोड़ रुपये का है और इस मिशन का कार्यकाल कम से कम 5 साल का है। 5 वर्ष की अवधि तक यह अंतरिक्ष के मौसम की घटनाओं और वहां के बदलावों से पृथ्वी के जलवायु पैटर्न पर पड़ने वाले प्रभावों आदि के बारे में समझ बढ़ाने में मदद करता रहेगा। इसे कार्बन फाइबर मैटेरियल से बनाया गया है। यह पृथ्वी पर रोजाना लगभग 1,440 तस्वीरें भेजेगा।