झारखंड: केजरीवाल की तर्ज पर बहुमत साबित करेंगे मुख्यमंत्री सोरेन, "भाजपा का पर्दाफाश" करने का इरादा
क्या है खबर?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी अब "भाजपा का पर्दाफाश" करने के लिए विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेंगे।
झारखंड विधानसभा में कल विश्वास प्रस्ताव पेश किया जाएगा और इस पर वोटिंग होगी। सत्तारूढ़ गठबंधन के पास मौजूद प्रचंड बहुमत को देखते हुए सोरेन का यह विश्वास मत जीतना लगभग तय है और वो इस मौके को भाजपा पर निशाना साधने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
आंकड़े
क्या है विधानसभा की स्थिति?
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के गठबंधन की सरकार के पास कुल 50 सीटें हैं। इनमें JMM के 30, कांग्रेस के 18 और CPI (ML) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के एक-एक विधायक हैं।
विपक्षी पार्टी भाजपा के पास 26 और AJSU और निर्दलीयों के पास दो-दो सीटें हैं। ऐसे में यदि सोरेन की सदस्यता रद्द होती है तो भी सरकार बनी रहेगी।
आशंका
खतरे में हैं हेमंत सोरेन की कुर्सी, रद्द हो सकती है विधानसभा की सदस्यता
झारखंड में फिलहाल सरकार पर कोई संकट नहीं है, हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरा बना हुआ है।
खुद के नाम पर ही खनन का पट्टा जारी करने के मामले में उन पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप है और उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द करने को लेकर चुनाव आयोग ने राज्यपाल रमेश बैस को रिपोर्ट भेजी है।
हालांकि अभी तक इस रिपोर्ट की सामग्री को सार्वजनिक नहीं किया गया है।
आशंका
JMM को आशंका- संकट का फायदा उठा विधायकों को तोड़ सकती है भाजपा
सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को आशंका है कि भाजपा इस संकट का फायदा उठा उसके और सहयोगी पार्टियों के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है।
इसी कारण सोरेन पहले विधायकों को एक झील की सैर कराने गए थे और फिर गठबंधन के लगभग तीन दर्जन विधायकों को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के रायपुर भेज दिया।
अब वो शक्ति प्रदर्शन के लिए विधानसभा में बहुमत साबित करने जा रहे हैं।
दिलचस्प
सोमवार को ही सोरेन की सदस्यता पर फैसला सुनाएंगे राज्यपाल
सोरेन का बहुमत परीक्षण इसलिए भी दिलचस्प हो जाता है क्योंकि इसी दिन राज्यपाल सोरेन की सदस्यता रद्द करने पर चुनाव आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करेंगे।
गठबंधन सरकार कह चुकी है कि अगर उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता है तो सोरेन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे और दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसके बाद उनके पास दोबारा विधानसभा चुनकर आने के लिए छह महीने का समय होगा और वो उपचुनाव लड़ेंगे।