कैसा रहा है AAP पार्टी से इस्तीफा देने वाले कैलाश गहलोत का राजनीतिक सफर?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार में केंद्रीय मंत्री कैलाश गहलोत ने रविवार को अचानक मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी की सदस्यता भी छोड़ दी। यह राजधानी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी AAP के लिए बड़ा झटका है। गहलोत के इस्तीफे के बाद सियासी गलियारों में भी गर्माहट आ गई है। ऐसे में आइए जानते हैं कि गहलाेत का राजनीतिक सफर कैसा रहा है और आगे क्या विकल्प हैं।
गहलोत ने क्या बताया इस्तीफे का कारण?
गहलोत ने AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल को भेजे पत्र में लिखा, 'दुखद बात यह है कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय हम अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए लड़ रहे हैं। अगर दिल्ली सरकार अधिकांश समय केंद्र से लड़ने में बिताती रही तो दिल्ली की प्रगति नहीं हो सकती।' उन्होंने आगे लिखा, 'मेरे पास अब AAP से अलग होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है और इसलिए मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।'
AAP ने भाजपा पर लगाया दबाव बनाने का आरोप
इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए AAP सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि गहलोत को भाजपा की गंदी राजनीति ने मजबूर किया और उनके इस्तीफे की पटकथा भी उसी ने लिखी। उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार ने ED और आयकर विभाग से छापे डलवाए और गहलोत पर 112 करोड़ रुपये का आरोप लगाकर दबाव बनाया। इसके कारण गहलोत को यह कठोर कदम उठाना पड़ा। उनके पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा था।"
कौन है कैलाश गहलोत?
कैलाश गहलोत का जन्म 11 मार्च, 1974 को नई दिल्ली में एक जाट परिवार में हुआ था। उनके पिता रामचंद्र गहलोत हैं और उनकी पत्नी मौसमी मिश्रा गहलोत हैं। उनके 2 बेटियां हैं। कैलाश ने साल 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की थी। उसके बाद साल 1998 में दिल्ली लॉ कैंपस से LLB की पढ़ाई की और फिर 2002 में दिल्ली लॉ कैंपस से ही LLM की भी डिग्री हासिल की।
दिल्ली बार एसोसिएशन के सदस्य रह चुके हैं गहलोत
गहलोत को दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का कुशल वकील माना जाता है। उन्होंने कई बड़े केस लड़े हैं। साल 2005 से 2007 तक वह दिल्ली हाई कोर्ट की बार एसोसिएशन के सदस्य रहे। राजनीति में आने से पहले वह वकालात ही करते थे।
गहलोत ने कब किया राजनीति में प्रवेश?
गहलोत को केजरीवाल के करीबियों में से एक माना जाता है। उन्होंने साल 2015 में AAP की प्राथमिक सदस्यता ली थी और उसी साल दक्षिण-पश्चिम दिल्ली की नजफगढ़ विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी। वह केवल 2 साल में विधायक से कैबिनेट मंत्री तक पहुंच गए। साल 2017 में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ लेकर वह दिल्ली के परिवहन मंत्री बने थे। उसके बाद पार्टी में उनका कद बढ़ता गया।
विधानसभा चुनाव 2020 में भी दर्ज की जीत
गहलोत ने 2020 में हुई विधानसभा चुनावों में भी नजफगढ़ विधानसभा सीट से ही लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की थी। उन्होंने भाजपा के अजित सिंह खरखरी को पटखनी दी थी। इस बार भी उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली और परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी मिली। इसके साथ वह दिल्ली प्रशासन में गृह, सूचना प्रौद्योगिकी और महिला एवं बाल विकास सहित कई प्रमुख विभागों के प्रभारी थे। 2023 में उन्हें ये जिम्मेदारियां मिली थीं।
गहलोत ने खुद को बताया था केजरीवाल का 'हनुमान'
गहलोत के इस्तीफे को चौंकाने वाला इसलिए भी माना जा रहा है कि उन्होंने खुद को केहरीवाल का 'हनुमान' बताया था। इसी साल सितंबर में जब केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और आतिशी के नेतृत्व में नई सरकार बनी तो गहलोत ने कहा था, "जिस प्रकार से भगवान श्रीराम के सेवक के रूप में हनुमान जी ने सारे काम किए, उसी तरह मैं भी अरविंद केजरीवाल का सेवक बनकर जितने भी लंबित काम हैं सबको पूरा करूंगा।"
गहलोत के पास अब आगे क्या है विकल्प?
इस इस्तीफे के बाद गहलोत के पास 3 विकल्प नजर आ रहे हैं। वह ED और आयकर विभाग की कार्रवाई को देखते हुए भाजपा में शामिल हो सकते हैं। ऐसा न करने पर उनके पार कांग्रेस में जाने का भी विकल्प मौजूद रहेगा। इसी तरह वह दोनों ही दलों में न जाते हुए राजनीति से भी संन्यास ले सकते हैं, लेकिन इसकी संभावना न के बराबर है। राजनीति के जानकारों के अनुसार, गहलोत भाजपा में ही शामिल होंगे।