#NewsBytesExplainer: ओपी राजभर के NDA में आने से भाजपा को क्या फायदा होगा?
क्या है खबर?
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में शामिल हो गई है। SBSP के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद इस बात का ऐलान किया है।
बता दें कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियां साथ थीं।
समझते हैं राजभर की वापसी से NDA कितना मजबूत होगा और भाजपा को इससे क्या फायदा होगा।
बयान
NDA में शामिल होने पर क्या बोले राजभर?
राजभर ने कहा, "हमने 14 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर चर्चा की। हमने 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है।"
वहीं गृह मंत्री ने कहा, "ओम प्रकाश राजभर से दिल्ली में भेंट हुई और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन में आने का निर्णय लिया। मैं उनका NDA परिवार में स्वागत करता हूं। राजभर जी के आने से उत्तर प्रदेश में NDA को मजबूती मिलेगी।"
दूरी
सपा से क्यों दूर हुए राजभर?
बता दें कि SBSP ने 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ मिलकर लड़ा था। हालांकि, कुछ महीनों बाद ही राजभर ने अखिलेश यादव के साथ मतभेद के बाद गठबंधन तोड़ दिया था।
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों पार्टियों की कलह खुलकर सामने आ गई थी। तब विधान परिषद चुनावों में हिस्सेदारी न मिलने पर राजभर ने बगावत कर दी और अखिलेश को एयर कंडीशनर से बाहर निकलकर राजनीति करने की नसीहत दी थी।
NDA
पहले भी NDA का हिस्सा रहे हैं राजभर
2017 का विधानसभा चुनाव SBSP ने भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। तब SBSP ने 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 4 सीटों पर जीत मिली थी।
हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले ये गठबंधन टूट गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब गाजीपुर सीट से राजभर अपना उम्मीदवार उतारना चाहते थे, लेकिन भाजपा के साथ इस पर सहमति नहीं बन सकी और दोनों पार्टियां अलग हो गईं।
मजबूती
उत्तर प्रदेश में कितनी मजबूत है SBSP?
उत्तर प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में 100 से अधिक सीटों पर राजभर समाज के लोगों का असर है। पूर्वांचल के 13 से ज्यादा जिलों में राजभर समाज के वोट निर्णायक भूमिका में है।
वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, देवरिया और बलिया में राजभर समाज के 18-20 प्रतिशत मतदाता हैं।
अयोध्या, अंबेडकरनगर, गोरखपुर, कुशीनगर, बस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और श्रावस्ती में भी 8-10 प्रतिशत मतदाता राजभर समाज के हैं।
जाति
जातिगत समीकरणों में कहां फिट बैठती है SBSP?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले जातिगत समीकरणों के लिहाज से भी SBSP महत्वपूर्ण पार्टी है।
दि प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, राजभर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का एक महत्वपूर्ण समुदाय है और राज्य की आबादी का लगभग 3 प्रतिशत है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 से ज्यादा जिलों में इनकी संख्या 20 से 22 प्रतिशत तक है। इस वजह से ये चुनावी परिणाम को प्रभावित करते हैं।
भाजपा
राजभर की वापसी से भाजपा को कितना फायदा?
आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। पिछली बार पूर्वांचल की कई सीटें भाजपा हार गई थी, इसलिए इस बार पूरा ध्यान इस इलाके पर है।
गाजीपुर, घोसी समेत कुछ सीटें भाजपा ने 2014 में जीती थीं, लेकिन 2019 में हार गईं। ऐसे में राजभर की NDA में वापसी से पूर्वांचल की सीटों पर भाजपा अपनी पकड़ दोबारा बना सकती है।
सपा
राजभर के साथ छोड़ने से सपा को क्या नुकसान?
2017 के चुनावों में सुभासपा के साथ गठबंधन कर भाजपा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में 72 सीटें जीती थीं। 2012 में ये आंकड़ा मात्र 14 था। कह सकते हैं कि भाजपा ने ये सभी सीटें सपा से ही छीनी थी, क्योंकि सपा को 2012 में यहां से 52 सीटें मिली थी, जो 2017 में घटकर मात्र 9 रह गई।
इस आधार पर देखा जाए तो SBSP और भाजपा के गठबंधन से सपा को इस इलाके में नुकसान होना तय है।
राजभर
कौन हैं ओपी राजभर?
15 सितंबर, 1962 को जन्में राजभर खुद को अति पिछड़ा वर्ग का नेता बताते हैं। साल 1981 में बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) के संस्थापक कांशीराम के साथ उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी।
हालांकि, 2001 में मायावती से विवाद के बाद वे BSP से अलग हो गए और SBSP नाम से नई पार्टी बनाई। वे 2017 से 2019 तक उत्तर प्रदेश सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रहे हैं।
राजभर फिलहाल गाजीपुर की जहूराबाद सीट से विधायक हैं।