हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव: क्या है राज्य के जातिगत समीकरण और कौन किसे वोट देता है?
देश की राजनीति में जातिगत समीकरण अहम स्थान रखते हैं और सभी पार्टियां इन्हें ध्यान में रखते हुए अपनी उम्मीदवारों का चयन करती हैं। 68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में शनिवार को चुनाव होने हैं और यहां भी पार्टियों ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकटों का बंटवारा किया है। यहां 17 सीटें अनुसूचित जाति (SC) और तीन सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हैं। आइये राज्य के जातिगत समीकरणों पर एक नजर डालते हैं।
हिमाचल में रहा है राजपूतों और ब्राह्मणों का दबदबा
करीब 70 लाख की आबादी वाले हिमाचल प्रदेश की राजनीति में राजपूतों और ब्राह्मणों का दबदबा रहा है। इसकी एक वजह राज्य में सवर्ण आबादी का बहुमत होना है। 2011 की जनगणना के अनुसार, हिमाचल की आबादी में से 33 प्रतिशत राजपूत और 18 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। अन्य जातियों की बात करें तो राज्य में 25 प्रतिशत SC, 13-14 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), 5 प्रतिशत ST और बाकी पांच प्रतिशत में सिख, मुस्लिम और अन्य आ जाते हैं।
भाजपा और कांग्रेस ने उतारे 28-28 राजपूत और ब्राह्मण उम्मीदवार
जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने इस बार 28-28 राजपूतों और ब्राह्मणों को टिकट दिया है। भाजपा ने 9 ब्राह्मणों और 19 राजपूतों और कांग्रेस ने 12 ब्राह्मणों और 16 राजपूतों को उम्मीदवार बनाया है। राज्य में स्वर्णों के दबदबे को इस बात से भी समझा जा सकता है कि हिमाचल के अब तक के सभी मुख्यमंत्री सवर्ण हुए हैं। राज्य में अब तक के छह मुख्यमंत्रियों में से पांच राजपूत रहे हैं।
SC-ST की होती है अहम भूमिका
भले ही हिमाचल की राजनीति पर सवर्णों का दबदबा रहा है, लेकिन SC-ST की अहम भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। आबादी के करीब इस प्रतिशत हिस्से को कोई भी पार्टी नजरअंदाज नहीं करना चाहती है। इसको इस बात से समझा जा सकता है कि भाजपा ने हाल ही में दलित चिंतक डॉ सिकंदर कुमार को राज्यसभा में भेजा था। वहीं 2020 में एक दलित सांसद सुरेश कश्यप को अपना राज्य प्रमुख बनाया था।
कौन किस पार्टी को वोट देता है?
द क्विंट के अनुसार, 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में 48 प्रतिशत राजपूतों ने भाजपा और 36 प्रतिशत ने कांग्रेस को वोट दिया था। आरक्षित सीटों की बात की जाए तो 17 में से 13 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार विजयी बने थे। हालांकि, प्रतिशत के हिसाब से कांग्रेस को भाजपा से एक प्रतिशत ज्यादा दलित वोट मिले थे। वहीं OBC के 48 प्रतिशत वोट भाजपा और 43 प्रतिशत कांग्रेस को मिले थे।
कांग्रेस का गढ़ रहा है पूर्वी हिमाचल
क्षेत्र के हिसाब से बात करें तो पूर्वी हिमाचल कांग्रेस का गढ़ रहा है और यहां उसे भाजपा से ज्यादा वोट मिलते रहे हैं। पूर्वी हिमाचल में किन्नौर, कुल्लु, लाहौल और स्पीति, मंडी, शिमला, सिरमौर और सोलन जैसे जिलों की 34 विधानसभा सीटें आती हैं। इन जिलों में से कई की 30 प्रतिशत आबादी SC-ST है। वहीं पश्चिमी हिमाचल को भाजपा का मजबूत किला माना जाता है। इस तरफ बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा और ऊना आदि जिले पड़ते हैं।
कल होगा हिमाचल में मतदान
12 नवंबर को राज्य की 68 सीटों पर मतदान होगा और 8 दिसंबर को नतीजे जारी होंगे। राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है और दोनों ही आम लोगों के मुद्दों को उठाकर जनता को लुभाने की कोशिश कर रही हैं।