इन विवादों से रहा कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाता
कांग्रेस के 80 वर्षीय नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने शशि थरूर को 6,825 वोटों से हराया। इसके साथ ही कांग्रेस को 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिल गया है। गांधी परिवार के वफादारों में एक माने जाने वाले खड़गे का राजनीतिक करियर काफी शानदार रहा है, लेकिन उनका कई विवादों से भी नाता रहा है। ऐसे में आइये जानते हैं खड़गे जुड़े प्रमुख विवाद कौनसे हैं।
खड़गे को मिले 7,897 वोट
चुनाव में डाले गए कुल 9,385 वोटों में से खगड़े को 7,897 वोट मिले, जबकि शशि थरूर को महज 1,072 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। इसके अलावा 416 वोट निरस्त कर दिए गए। इसके साथ ही कांग्रेस की कमान अब खड़गे के हाथों में आ गई है। बता दें कि कांग्रेस के 137 सालों के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए यह छठवीं बार चुनाव हुआ है। अब खड़गे पर पार्टी को फिर से एकजुट करने की जिम्मेदारी होगी।
खड़गे पर लगा था 50,000 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति का अरोप
साल 2014 में बेंगलुरू की समाज परिवर्तन समिति के महासचिव बी राथकर ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराते हुए खड़गे पर 50,000 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि खड़गे की नागपुर, पुणे, मुंबई, गोवा, दिल्ली, मैसूर, गुलबर्गा और चेन्नई में खुद के अलावा बेटों, बेटियों, दामाद और पत्नी के नाम से संपत्तियां हैं। खड़गे ने यह संपत्ति पद का दुरुपयोग करते हुए जमा की है।
शिकायत में खड़गे को बताया था इन संपत्तियों का मालिक
शिकायत में यह भी आरोप था कि खड़गे ने अनुसूचित जाति बैकलॉग रिक्तियों को भरने के लिए सहायक इंजीनियरों के 1,427 पदों और कनिष्ठ इंजीनियरों की अवैध नियुक्तियां की गई थी। शिकायत में खड़गे के नाम बन्नरघट्टा में 500 करोड़ रुपये का विशाल परिसर, चिकमगलूर में 1,000 करोड़ लागत का 300 एकड़ का विशाल कॉफी बागान, 50 करोड़ मकान, 40 एकड़ का केनेरी फार्महाउस, बेल्लारी रोड पर 17 एकड़ भूमि सहित कई अन्य अन्य संपत्तियां बताई गई थी।
साल 2018 में भाजपा ने भी लगाया था आरोप
फरवरी 2018 में कर्नाटक भाजपा ने भी खड़गे पर 1,000 करोड़ रुपये का कॉफी बागान सहित करोड़ों की अवैध संपत्ति रखने का आरोप लगाया था। इसके अलावा राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा जांच करने वाली एजेंसी को खत्म करने का भी आरोप लगाया था।
खड़गे पर है नेशनल हेराल्ड केस में 5,000 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
खड़गे एसोसिएटेड जर्नल्स की रूपांतरित कपंनी यंग इंडिया लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधि हैं और नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चल रही जांच में प्रवर्तन निदेशाल (ED) के निशाने पर हैं। ED ने इस साल अप्रैल में उन्हें कथित तौर पर 5,000 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब किया था। ED ने कंपनी के कार्यालय को आंशिक रूप से सील करने के मामले में खड़गे से करीब सात घंटे तक पूछताछ की थी। इसकी जांच अभी जारी है।
मुहर्रम पर नाचेंगे का बयान देकर विवादों में घिरे खड़गे
खड़गे ने 13 अक्टूबर को भोपाल में चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान मुहर्रम को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी। उन्होंने 2024 चुनाव में कांग्रेस का प्रधानमंत्री उम्मीदवार वाले सवाल पर कहा था, "हमारे यहां एक कहावत है कि बकरीद में बचेंगे तो मुहर्रम में नाचेंगे। पहले यह चुनाव खत्म होने दो और मुझे अध्यक्ष बनने दो, फिर हम देखेंगे।" इस पर भाजपा ने तिखी प्रतिक्रिया देते हुए खड़गे को मुस्लिम विरोध बताकर विवाद को जन्म दे दिया था।
भाजपा ने बयान को लेकर क्या कहा था?
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने वीडियो पोस्ट कर खड़गे की टिप्पणी की निंदा की थी। उन्होंने लिखा था, 'मुहर्रम उत्सव नहीं, बल्कि एक शोक है! यह मुसलमानों का अत्यधिक अपमान है।' इसी तरह राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने लिखा था, 'जहां तक मेरी जानकारी है, मुहर्रम पर नाचा नहीं जाता, बल्कि मातम मनाया जाता है। हां, लेकिन खड़गे ईमानदार आदमी हैं और अपनी पार्टी की हकीकत बयां कर रहे हैं।'
राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में सीट का विवाद
जुलाई में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में सीट को लेकर भी खड़गे का विवाद हुआ था। समारोह में खड़गे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के चलते आमंत्रित किया गया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि समारोह में खड़गे को उनके पद के अनुसार सीट नहीं दी गई थी। हालांकि, बाद में सदन के नेता पियूष गोयल ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि खड़गे को कैबिनेट मंत्रियों के बराबर सीट दी गई थी।
कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता है खड़गे
कर्नाटक के बीदर में जन्म खड़गे ने 1972 में पहला चुनाव लड़ा था। वह नौ बार विधायक और दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं। 2009 में वो रिकॉर्ड नौंवी बार विधायक बनकर कर्नाटक विधानसभा पहुंचे थे। उन्हें साल 2019 में पहली बार हार का सामना करना पड़ा था। वह जगजीवन राम के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले खड़गे दूसरे दलित नेता हैं। जगजीवन राम 1970 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे और दो साल पद पर रहे थे।