महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों का एक साल का निलंबन असंवैधानिक- सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों के निलंबन को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि एक सत्र से ज्यादा का निलंबन करना असंवैधानिक और गैरकानूनी है।
जस्टिस एएम खनविलकर ने कहा कि किसी विधायक को अगर एक साल तक निलंबित किया जाता है तो यह पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने के बराबर है। यह निष्कासन से भी बदतर है।
आइये, पूरी खबर जानते हैं।
पृष्ठभूमि
क्यों निलंबित किए गए थे विधायक?
पिछले साल 5 जुलाई को महाराष्ट्र सरकार ने 12 भाजपा विधायकों पर स्पीकर के चैंबर में विधानसभा के अधिकारी भास्कर जाधव के साथ 'बदसलूकी' का आरोप लगाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था।
निलंबित किए गए विधायकों में संजय कुटे, आशीष शेलर, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भटखालकर, पराग अल्वानी, हरीश पिंपाले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुछे, राम सतपुते और बंटी भांगडिया शामिल थे।
इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हुआ था।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एएम खनविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने कहा कि विधायकों का निलंबन केवल उसी सत्र के लिए हो सकता है, जिसमें हंगामा हुआ।
कोर्ट ने माना कि विधायकों के निलंबित होने के कारण निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं हो सका। यह सदस्य नहीं बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को सजा देने के समान है।
सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन को विधानसभा के अधिकार क्षेत्र से बाहर करार दिया है।
टिप्पणी
"छह महीने से अधिक बिना प्रतिनिधित्व नहीं रह सकता कोई क्षेत्र"
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संवैधानिक नियमों के अनुसार कोई भी निर्वाचन क्षेत्र छह महीने से अधिक बिना प्रतिनिधित्व के नहीं रह सकता।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि विधानसभा द्वारा दी गई सजा की मात्रा की जांच अदालत नहीं कर सकती।
वहीं निलंबित विधायकों ने अपनी याचिका में सदन पर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।
प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट का फैसला उचित- महाजन
निलंबित विधायकों की सूची में शामिल भाजपा विधायक गिरीश महाजन ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट का फैसला महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार के मुंह पर तमांचा है। बदले की भावना से निलंबन किया गया था। वो हमें स्पीकर के चुनाव से दूर रखना चाहते थे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला उचित है और इसने गलत काम को ठीक किया है।"
बता दें कि इसी महीने सुप्रीम कोर्ट ने मामले में विधानसभा सचिव को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था।
जानकारी
देवेंद्र फडणवीस ने किया फैसले का स्वागत
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने लिखा कि यह फैसला लोकतांत्रिक मूल्यों का बचाव करेगा और महाराष्ट्र सरकार के मुंह पर करारा तमांचा है।