मध्य प्रदेश: 15 महीने के "ब्रेक" के बाद फिर मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान, ली शपथ
भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने आज रिकॉर्ड चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। भोपाल स्थित राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शिवराज दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार आने से पहले लगातार तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए उनका और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम आगे चल रहा था, लेकिन अंत में बाजी उनके हाथ लगी।
शपथ से पहले बैठक में शिवराज को चुना गया विधायक दल का नेता
शपथ ग्रहण से पहले भोपाल में भाजपा के विधायक दल की बैठक हुई जिसमें शिवराज को विधायक दल का नेता चुना गया। इसके बाद उन्होंने राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा किया और राज्यपाल ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद साफ हुआ शिवराज का रास्ता
मात्र 15 महीने के अंतराल के बाद फिर से मुख्यमंत्री बनने का शिवराज सिंह चौहान का रास्ता कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद साफ हुआ है। दरअसल, 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत करते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उनके खेमे के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने कमलनाथ को दो बार बहुमत साबित करने को कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने दे दिया इस्तीफा
इस बीच भाजपा सुप्रीम कोर्ट चली गई जिसने 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। इस आदेश के बाद स्पीकर ने सभी बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और कमलनाथ ने भी 20 मार्च को फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
कैसी है मध्य प्रदेश विधानसभा की स्थिति?
अगर आंकड़ों की बात करें तो 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा की दो सीटें खाली हैं और कांग्रेस के 22 विधायकों और भाजपा के एक विधायक का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद इसका संख्याबल घटकर 205 रह गया है। इसका मतलब बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 103 सीटें चाहिए। भाजपा के पास 106 सीटें हैं और वो आसानी से सरकार बनाने और बहुमत साबित करने की स्थिति में है।
राज्यसभा चुनाव में भी होगा भाजपा को फायदा
इसके अलावा मौजूदा परिस्थितियों में 26 मार्च को मध्य प्रदेश में होने जा रहे राज्यसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा को एक सीट का फायदा हो सकता है। राज्य की तीन राज्यसभा सीटों के लिए मतदान होना है और इसमें से एक-एक भाजपा और कांग्रेस के खाते में जाना तय है। असली पेंच चौथी सीट के लिए फंसेगा और अब कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा के लिए ये सीट जीतना आसान होगा।
भाजपा में शामिल हो चुके हैं सिंधिया और 21 पूर्व कांग्रेस विधायक
भाजपा ने इसमें से एक सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारा है। वे कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के 22 पूर्व विधायकों में से 21 पूर्व विधायक भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। सुरेश धाकड़ अपनी बेटी की आत्महत्या के कारण भाजपा में शामिल नहीं हो पाए हैं। वे आने वाले कुछ दिनों में भाजपा में शामिल हो सकते हैं।