MCD स्थायी समिति चुनाव: मेयर को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका, दोबारा मतदान का फैसला रद्द
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) की स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव के लिए पुनर्मतदान कराने के मेयर शैली ओबेरॉय के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें 24 फरवरी को हुए मतदान के नतीजे तत्काल घोषित करने का निर्देश दिया।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा, "मेयर ने शक्तियों से परे काम किया है और उनका निर्णय गैरकानूनी है। कोटे के निर्धारण के बाद मतपत्र को खारिज करने निर्णय भी गलत है।"
मामला
क्या था मामला?
23 फरवरी को मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के बाद स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव को लेकर MCD सदन में जमकर हंगामा हुआ था।
इस दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा पार्षदों के बीच हाथापाई भी हुई और मतपेटियों को वेल में फेंक दिया गया।
मेयर शैली ओबेरॉय के एक वोट को अमान्य करार देने पर ये हंगामा हुआ था। बाद में मेयर ने मतदान को रद्द करके 27 फरवरी को पुनर्मतदान का फैसला सुनाया था।
याचिका
मेयर के फैसले के खिलाफ कोर्ट पहुंचे थे भाजपा पार्षद
हाई कोर्ट में MCD की स्थायी समिति की 6 सीटों पर दोबारा मतदान कराने के मेयर के फैसले के खिलाफ भाजपा पार्षदों, कमलजीत सहरावत और शिखा रॉय, ने याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि AAP की मेयर, जो रिटर्निंग ऑफिसर की भूमिका में थीं, उन्होंने गलत तरीके से एक वोट को अमान्य कर दिया।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 25 फरवरी को दिल्ली मेयर के पुनर्मतदान के आदेश पर रोक लगा दी थी।
उम्मीदवार
स्थायी समिति के लिए कौन-कौन चुनाव मैदान में था?
MCD की स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव के लिए 7 प्रत्याशी मैदान में थे। श्री राम कॉलोनी वार्ड से पार्षद आमिल मलिक, फतेह नगर वार्ड से पार्षद रमिंदर कौर, सुंदर नगरी वार्ड से पार्षद मोहिनी जीनवाल और दरियागंज वार्ड से पार्षद सारिका चौधरी AAP के उम्मीदवार थे।
भाजपा की ओर से द्वारका-बी वार्ड से पार्षद कमलजीत सहरावत और झिलमिल वार्ड से पार्षद पंकज लूथरा और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए गजेंद्र सिंह दराल उम्मीदवार थे।
नतीजे
क्या रहे थे MCD चुनाव के नतीजे?
MCD चुनाव में AAP ने 250 में से कुल 134 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं भाजपा ने 104 और कांग्रेस ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की।
वोट शेयर की बात करें तो AAP को चुनाव में 42 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे, जबकि 2017 में हुए पिछले चुनाव में उसे मात्र 25 प्रतिशत वोट मिले थे।
भाजपा का वोट शेयर भी पिछले चुनाव में 35.5 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत हो गया था।