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मणिपुर हिंसा: 6,000 FIR, मात्र 657 गिरफ्तारियां; किन समस्याओं का सामना कर रही पुलिस?
मणिपुर में अब तक पुलिस ने 6,000 FIR दर्ज की है, लेकिन 657 गिरफ्तारियां ही कर पाई है

मणिपुर हिंसा: 6,000 FIR, मात्र 657 गिरफ्तारियां; किन समस्याओं का सामना कर रही पुलिस?

लेखन आबिद खान
Jul 21, 2023
11:53 am

क्या है खबर?

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से अब तक पुलिस ने कम से कम 6,000 FIR दर्ज की है। रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग थानों में दर्ज हुई इन FIR में से ज्यादातर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ हैं। इनमें से भी करीब 70 FIR हत्या के मामले से जुड़ी हुई है। पुलिस ने इन FIR के आधार पर अब तक केवल 657 लोगों को हिरासत में लिया है।

पुलिस कमी

पुलिस बल की कमी से जूझ रहा राज्य

रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर में लगभग 2,000 सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी ही जांच करने के लिए अधिकृत हैं। अधिकारियों का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना ज्यादा जरूरी है, इसलिए ज्यादातर मामलों में जांच या तो प्रारंभिक चरण में है या शुरू ही नहीं हुई है। न्यूज18 से बात करते हुए एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "रोजाना हम लगभग 75 मामले दर्ज कर रहे हैं, लेकिन उनकी जांच के लिए हमारे पास सीमित संख्या में कर्मचारी हैं।"

खतरा

राज्य में पुलिसकर्मियों की जान को भी खतरा

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हम एक समुदाय के पुलिसकर्मी को दूसरे समुदाय की बहुलता वाले इलाके में नहीं भेजना चाहते, क्योंकि उनकी जान को खतरा हो सकता है। अगर हम किसी आरोपी को पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं तो उसे पुलिस स्टेशन तक लाना कठिन होता है, क्योंकि स्थानीय लोग जबरन आरोपी को हमसे छुड़ा लेते हैं।" पुलिस को जेल की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है। राजधानी इंफाल में केवल एक ही स्थायी जेल है।

जीरो FIR

कई मामलों में शून्य FIR दर्ज कर रही पुलिस

मणिपुर में कई मामलों में पुलिस शून्य FIR दर्ज कर रही है। महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने वाली घटना की भी पुलिस ने शून्य FIR दर्ज की है। अगर पीड़ित के साथ अपराध उस थाने में न हुआ हो, जहां वो शिकायत कर रहा है, ऐसी स्थिति में शून्य FIR दर्ज की जाती है। बाद में इसे संबंधित थाने को ट्रांसफर कर दिया जाता है। 2 महिलाओं की कथित हत्या के मामले में भी पुलिस ने शून्य FIR दर्ज की है।

मामला

मणिपुर में क्यों हो रही है हिंसा?

मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। तब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था। इस दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसने पूरे मणिपुर को चपेट में ले लिया। मणिपुर हिंसा में अब तक 120 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा करीब 65,000 से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।