शरद पवार का ऐलान, 13-14 जुलाई को बेंगलुरू में होगी विपक्षी पार्टियों की अगली बैठक
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी पार्टियों की दूसरी अहम बैठक शिमला नहीं अब बेंगलुरू में होगी।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि विपक्ष पार्टियों की दूसरी बैठक 13-14 जुलाई को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में आयोजित होगी।
उन्होंने कहा कि 23 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की एकजुटता को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैचेन हैं। उनका इशारा पहली बैठक में लामंबद हुई प्रमुख 15 विपक्षी पार्टियों की तरफ था।
बैठक
12-13 जुलाई को शिमला में प्रस्तावित थी बैठक
पहले विपक्षी पार्टियों की अगली बैठक 12-13 जुलाई को शिमला में प्रस्तावित थी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पटना में हुई बैठक के बाद सभी पार्टियों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी गई थी।
उस वक्त नीतीश ने कहा था, "बैठक में कुछ मुद्दों पर सहमति बनी है। सभी विपक्षी पार्टियों की अगली बैठक कुछ दिनों बाद होगी। यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में होगी।"
पवार
पवार बोले- बैठक में आगे की रणनीति पर होगी विस्तृत चर्चा
NCP प्रमुख पवार ने कहा, "कांग्रेस प्रमुख खड़गे की अध्यक्षता में होने वाली दूसरी बैठक में विपक्षी पार्टियों के नेताओं के बीच आगे की रणनीति पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है।"
कयास लगाए जा रहे हैं कि आगामी बैठक में विपक्षी पार्टियों के नेता संयुक्त एजेंडे पर सहमत हो सकते हैं। इसके अलावा विपक्षी बैठक में संयुक्त मोर्चे के संयोजक और लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर भी कोई सहमति बन सकती है।
विपक्ष
भाजपा के खिलाफ कौन-सी पार्टियां एकजुट?
पटना में हुई पहली बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), शिवसेना (उद्धव बाल ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), समाजवादी पार्टी (SP), जनता दल यूनाइडेट (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आम आदमी पार्टी (AAP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता शामिल हुए थे।
इसके अलावा द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (CPM), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेताओं ने भी बैठक में हिस्सा लिया था।
जानकारी
AAP बैठक से बना सकती है दूरी
विपक्षी पार्टियों की दूसरी अहम बैठक से AAP दूरी बना सकती है। पहली बैठक के बाद AAP ने कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक कांग्रेस दिल्ली पर केंद्रीय अध्यादेश का विरोध नहीं करती, तब तक कोई गठबंधन नहीं होगा।
ताकत
अभी भाजपा के मुकाबले कितना मजबूत है विपक्ष?
वर्तमान में लोकसभा की 543 सीटों में से सभी विपक्षी पार्टियों के पास 200 से भी कम सीटें हैं। उनके नेताओं को उम्मीद है कि वो मिलकर भाजपा को आगामी चुनाव में 200 सीटों तक सीमित कर सकते हैं। अभी लोकसभा में भाजपा के पास सीटों की संख्या 300 से अधिक है।
भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस ने 2019 चुनाव में 52 सीटें जीती थीं। 2014 में कांग्रेस ने केवल 44 सीटें जीती थीं, जो उसका सबसे खराब प्रदर्शन था।