राष्ट्रपति चुनाव: फारूक अब्दुल्ला ने भी विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस लिया
राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की अगुआई वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) को पटखनी देने की तैयारी में जुटे संयुक्त विपक्ष को शनिवार को बड़ा झटका लगा है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में अपना नाम वापस ले लिया है। बता दें कि इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार को अपना नाम वापस ले लिया था।
ममता बनर्जी से सुझाया था फारूक अब्दुल्ला का नाम
बता दें कि विपक्ष को एकजुट करने में जुटी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 15 जून को दिल्ली में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों की विशेष बैठक आयोजित की थी। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल को छोड़कर 17 अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए थे। उस दौरान बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के लिए शराद पवार के अलावा फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी का भी नाम सुझाया था।
जम्मू-कश्मीर को है मेरी जरूरत- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने नाम वापसी की घोषणा करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर फिलहाल एक नाजुक दौर से गुजर रहा है और इससे निपटने तथा यहां की जनता की मदद के लिए मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है।" उन्होंने कहा, "मैं ममता बनर्जी द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए संभावित संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मेरा नाम प्रस्तावित करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मुझे विपक्षी नेताओं से भी समर्थन के लिए कई फोन आए हैं।"
अब्दुल्ला ने नाम प्रस्तावित करने के लिए जताया आभार
अब्दुल्ला ने कहा, "उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और परिवार के सदस्यों से इस अप्रत्याशित घटनाक्रम पर चर्चा की है। मुझे जो समर्थन मिला है, उससे मैं बहुत खुश और सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि देश के सर्वोच्च पद के लिए मेरे नाम पर विचार किया गया।" उन्होंने कहा, "मैं ममता दीदी का आभारी हूं कि उन्होंने मेरा नाम का प्रस्ताव रखा है साथ ही उन नेताओं का आभारी हूं जिन्होंने मुझे समर्थन देने का वादा किया।"
मेरे आगे बहुत अधिक सक्रिय राजनीति- अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने कहा, "मेरे आगे बहुत अधिक सक्रिय राजनीति है और मैं जम्मू-कश्मीर और देश की सेवा में सकारात्मक योगदान देने के लिए तत्पर हूं। मैं सम्मानपूर्वक अपना नाम वापस लेना चाहता हूं और संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए तत्पर हूं।"
शरद पवार भी वापस ले चुके हैं नाम
बता दें कि इससे पहले सोनिया गांधी ने संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर शरद पवार का नाम सुझाया था और AAP, DMK, TMC और शिवसेना सहित अन्य विपक्षी दलों ने समर्थन देने की बात कही थी। इसके बाद भी 14 जून को हुई NCP की बैठक में पवार ने स्पष्ट कर दिया था कि वह विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का चेहरा नहीं बनेंगे। उनके इस ऐलान से कई विपक्षी पार्टियां अभी भी खासी निराश हैं।
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर क्या है भाजपा की तैयारी?
इधर, भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को सभी पार्टियों से संपर्क साधने और एक सर्वसम्मत नाम पर सहमति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। भाजपा कई नामों पर विचार कर रही है, लेकिन अभी तक अंतिम फैसला नहीं हुआ है। अटकलें यह भी लगाई जा रही है कि भाजपा फिर से रामनाथ कोविंद को अपने राष्ट्रपति के चेहरे के रुप में पेश कर सकती हैं, लेकिन इस पर निर्णय बाकी है।
18 जुलाई को होगा मतदान, 21 को आएगा परिणाम
चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, संसद और सभी राज्यों की विधानसभाओं में 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान होगा और जरूरत पड़ने पर 21 जुलाई को मतगणन होगी। 25 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा। चुनाव में वोट डालने वाले सभी सांसदों और विधायकों के वोटों का मूल्य 10.79 लाख होगा। जीतने के लिए 5,39,500 मूल्य के वोटों आवश्यकता होगी।