मनीष सिसोदिया का बड़ा बयान, कहा- मैं शाहीन बाग के लोगों के साथ
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बड़ा बयान दिया है। शाहीन बाग में नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वो शाहीन बाग के लोगों के साथ खड़े हैं। ये पहली बार है जब आम आदमी पार्टी (AAP) के किसी बडे नेता ने नागरिकता कानून विरोध प्रदर्शनों को लेकर कोई स्पष्ट बयान दिया है। अभी तक पार्टी इन प्रदर्शनों के सवालों से दूर रही थी।
मैं शाहीन बाग के लोगों के साथ- मनीष सिसोदिया
सिसोदिया बोले, पहले शिक्षा के बारे में बात करते हैं
मनीष सिसोदिया ने ये बात 'न्यूज 18' के साथ एक इंटरव्यू में कही। शाहीन बाग के लोगों के साथ खड़े होने की बात कहने के बाद उन्होंने कहा, "मैं शाहीन बाग के बारे में बात करूंगा, लेकिन पहले शिक्षा के बारे में बात करते हैं।" शाहीन बाग के कारण बंद पड़े कालिंदी कुंज रोड को खुलवाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये रोड उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है।
अब तक CAA विरोधी प्रदर्शनों पर चुप रही है AAP
दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सिसोदिया के इस बयान की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि अभी तक CAA के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर AAP ने खुलकर कुछ नहीं कहा था। दरअसल, चुनाव में AAP अपने पांच साल के कार्य और शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी जैसे मुद्दों पर वोट मांग रही है और वो प्रदर्शनों पर कुछ कहकर भाजपा को असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का मौका नहीं देना चाहती।
नागरिकता कानून के विरोध में है AAP
हालांकि AAP ने संसद में नागरिकता (संशोधन) बिल पर वोटिंग के दौरान इसके खिलाफ वोटिंग की थी और पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला था। इससे माना जा सकता है कि पार्टी इस विवादित कानून के खिलाफ है।
शाहीन बाग में पिछले महीने से धरने पर बैठी हैं महिलाएं
दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले महीने से ही महिलाएं नागरिकता कानून के खिलाफ सड़क पर धरने पर बैठी हुई हैं। इस दौरान दिल्ली में भयंकर ठंड पड़ी लेकिन ये ठंड भी उन्हें उनसे हौसलों से डिगा नहीं पाई है। हालांकि उनके सड़क पर धरने पर बैठने के कारण ट्रैफिक की भी समस्या हो रही है और कालिंदी कुंज रोड को बंद करना पड़ा है। इसके कारण कुछ लोग प्रदर्शनकारियों को रोड से हटाने की मांग कर रहे हैं।
क्या है नागरिकता कानून और क्यों हो रहा इसका विरोध?
नागरिकता कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। 31 दिसंबर, 2014 तक इन तीन देशों से भारत आने वाले इन छह धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता दे दी जाएगी। मुस्लिमों को इससे बाहर रखने के कारण इसका विरोध हो रहा है और इसे भारतीय के धर्मनिरपेक्ष स्वभाव के खिलाफ बताया जा रहा है।