ओमान चांडी: केरल के 2 बार के मुख्यमंत्री, जो सबसे अधिक समय तक विधायक रहे
क्या है खबर?
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमान चांडी का मंगलवार तड़के 79 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बेंगलुरू के चिन्मय मिशन अस्पताल में अंतिम सांस ली। जहां उनका कैंसर का इलाज चल रहा था।
पूर्व मुख्यमंत्री चांडी के निधन पर केरल सरकार ने 2 दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। आइए विस्तार से जानते हैं चांडी कौन थे और उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा।
जन्म
कोट्टायम के पुथुपल्ली में हुआ था जन्म
31 अक्टूबर, 1943 को कोट्टायम जिले के पुथुपल्ली में ओमान चांडी का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम केओ चांडी और माता का नाम बेबी चांडी था। उन्होंने पुथुपपल्ली में सेंट जॉर्ज हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।
चांडी ने सीएमएस कॉलेज से स्नातक करने के बाद एर्नाकुलम स्थित सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री भी हासिल की। वह कॉलेज के दौरान केरल छात्र संघ (KSU) से जुड़ गए थे।
अन्य देशों में
चांडी की छात्र राजनीति से हुई शुरुआत
राजनीति में चांडी का सफर काफी लंबा रहा। वह 1967 से 1969 तक KSU के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 1970 में उन्हें केरल युवा कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। वह 5 दशक तक पुथुपल्ली विधानसभा सीट से विधायक रहे।
चुनाव
1970 में जीता था पहला विधानसभा चुनाव
चांडी ने 26 साल की उम्र में 1970 में पुथुप्पल्ली सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव जीता था।
केरल विधानसभा के इतिहास में सबसे लंबे तक विधायक बने रहने का रिकॉर्ड भी चांडी के नाम है। पुथुप्पल्ली सीट से वह पिछले 50 सालों में एक भी चुनाव नहीं हारे।
उन्होंने पुथुप्पल्ली निर्वाचन क्षेत्र से 1970, 1977, 1980, 1982, 1987, 1991, 1996, 2001, 2006, 2011, 2016 और 2021 में विधानसभा चुनाव जीता था।
मंत्री
केरल सरकार में 4 बार रहे मंत्री
चांडी ने 4 बार केरल सरकार में मंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाई थी। अप्रैल, 1977 में पहले के करुणाकरण की सरकार में उन्होंने श्रम विभाग के मंत्री का कार्यभार संभाला और अक्टूबर, 1978 तक वह इसी पद पर एके एंटनी सरकार में मंत्री बने रहे।
उन्होंने दिसंबर, 1981 से मार्च, 1982 तक करुणाकरण सरकार में गृह विभाग का कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्होंने करुणाकरण की अगली सरकार में वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।
मुख्यमंत्री
चांडी 2 बार रहे केरल के मुख्यमंत्री
चांडी 2 बार केरल के मुख्यमंत्री भी चुने गए थे। उन्होंने 2004 से 2006 तक और 2011 से 2016 के दौरान मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके अलावा चांडी 2006 से 2011 के दौरान केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे।
2018 में उन्हें कांग्रेस महासचिव पद की जिम्मेदारी मिली और उनको आंध्र प्रदेश का प्रभारी भी बनाया गया था।
चांडी अपने आखिरी दिनों में कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के सदस्य भी थे।
घोटाला
राजनीति सफर के दौरान घोटालों में भी फंसे थे चांडी
राजनीतिक सफर के दौरान 2 घोटालों में भी चांडी का नाम सामने आया था। केरल के वित्त मंत्री रहते हुए पामोलेन घोटाले का आरोप उनके ऊपर लगा था। 1991 के इस घोटाले ने केरल की सियासत में भूचाल मचा दिया था।
इसके अलावा सौर घोटाले में भी चांडी का नाम सामने आया था और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज भी हुआ था।
जून, 1994 में चांडी ने करुणाकरण सरकार से नाराजगी के चलते मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।