'द केरल स्टोरी' रिव्यू: अदा की अदाकारी कमाल और मुद्दा गंभीर, लेकिन रह गई कुछ कमी
क्या है खबर?
सुदीप्तो सेन की फिल्म 'द केरल स्टोरी' विवादों के बीच आज आखिरकार सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है।
फिल्म में केरल की लड़कियों की सच्ची कहानी को पर्दे पर लाने की कोशिश गई है, जो धर्म परिवर्तन कर आतंकी संगठन में शामिल हो जाती हैं।
ऐसे में पिछले काफी समय से केरल की छवि खराब करने के आरोप लगा फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की जा रही थी।
आइए जानते हैं कि कैसी है फिल्म।
कहानी
यह है फिल्म की कहानी
यह कहानी शालिनी उन्नीकृष्णन (अदा शर्मा), नीमा (योगिता बिहानी) और गीतांजलि (सिद्धि इदनानी) की है।
तीनों नर्सिंग कोर्स के लिए कॉलेज आती हैं और उनकी मुलाकात आसिफा (सोनिया बलानी) से होती है, जो आतंकी संगठन ISIS के लिए काम करती है।
आसिफा शुरुआत से ही इस्लाम के बारे में बताकर उनका ब्रेनवॉश करना शुरू कर देती है, जिसमें और भी लोग उसकी मदद करते हैं। इसके लिए वह अपने 2 नकली भाइयों से भी उन्हें मिलवाती है।
कहानी
इस्लाम कबूल करते ही कहानी ने लिया नया मोड़
फिल्म में दिखाया जाता है कि भरे बाजार में शालिनी, गीतांजलि और नीमा के साथ छेड़छाड़ होती है, जिसका कारण आसिफा हिजाब न पहनना बताती है।
इस घटना के बाद से आसिफा गीतांजलि और शालिनी को अपनी बातों में फंसाने में कामयाब हो जाती है और दोनों अपने परिवारों से दूरी बनाकर इस्लाम अपना लेती हैं।
हालांकि, कहानी तब नया मोड़ लेती है, जब शालिनी गर्भवती हो जाती है और लड़का भाग जाता है, वहीं गीतांजलि आत्महत्या कर लेती है।
कमियां
यहां खलेगी कमी
ग्रेजुएशन कर चुकी आसिफा और गीतांजलि का इतनी आसानी से आसिफा की बातों में आ जाना बचकाना लगता है।
शालिनी को किसी और से निकाह करने के बाद सीरिया जाने के लिए बरगलाना या फिर आसिफा का हिंदू धर्म की आलोचना करने पर किसी का कुछ न कहना हजम नहीं होता।
इसके अलावा भी कई मौके आते हैं, जब आपको लगेगा कि क्या किसी से इस्लाम कबूल कराना आसान है? ऐसे में कई बार फिल्म में आपको कमियां महसूस होंगी।
अभिनय
अदा की अदाकारी जीत लेगी दिल
फिल्म में पहले शालिनी और फिर फातिमा के किरदार में नजर आईं अदा की अदाकारी कमाल लगती है।
वह शालिनी के रूप में अपनी मासूमियत से दिल जीत लेती हैं तो दूसरी ओर फातिमा बनने के बाद वह अपनी पीड़ा, बेबसी और डर को भी पर्दे पर बखूबी दिखाने में कामयाब रहती हैं।
साथी कलाकारों के रूप में योगिता, सोनिया और सिद्धि भी जितने समय तक पर्दे पर नजर आती हैं, उनका अभिनय भी शानदार लगता है।
निर्देशन
यहां चूक गए निर्देशक
निर्देशक आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे को और अच्छे तरीके से पेश कर सकते थे, जिसमें वह कहीं न कहीं भटकते नजर आते हैं।
इसके अलावा नर्सिंग कॉलेज आई तीनों ही लड़कियों को कभी क्लास में नहीं दिखाया जाता है। ऐसे में लगता है कि निर्देशक किसी जल्दी में थे कि किरदारों की कॉलेज लाइफ ही भूल बैठे।
प्रशांतनु मोहापात्रा की सिनेमेटोग्राफी कमाल है और वह केरल से लेकर अफगानिस्तान को फिल्म में बखूबी दिखाने में सफल रहे हैं।
कमी
कमियों के बावजूद अंत तक बांधे रखेगी फिल्म
फिल्म में कई कमियां हैं तो कुछ सीन ऐसे भी हैं, जो आपको झकझोर कर रख देंगे और यही वजह है कि फिल्म अंत तक दर्शकों को अपने साथ जोड़े रखती है।
पहला जब गर्भवती फातिमा के साथ पति दुष्कर्म करता है और दूसरा ISIS के ठिकाने पर जहां महिलाओं को बंदी बनाकर रखा गया है। इन ठिकानो पर फातिमा के साथ कई लोग दुष्कर्म करते हैं।
इसी तरह नीमा के साथ हुई बलात्कार की घटनाएं दिल दहला देती हैं।
निष्कर्ष
देखें या नहीं?
क्यों देखें फिल्म?: अगर आपको सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्में पसंद है और आप जानना चाहते हैं कि केरल में कैसे लड़कियों का धर्म परिवर्तन किया गया तो इसे आप देख सकते हैं। मेकर्स ने सच्ची घटना पर आधारित फिल्म के अपने दावों को साबित करने के लिए अंत में गीतांजलि के माता-पिता और नीमा के इंरटव्यू को भी रखा है।
क्यों न देखें?: अगर आपको हिंसा देखना पसंद नहीं तो यह आपके लिए सही नहीं है।
न्यूजबाइट्स स्टार: 2.5
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
फिल्म में 32,000 लड़कियों के केरल से गायब होने के आंकड़े को लेकर विवाद हो रहा था। अब फिल्म के अंत में मेकर्स ने इस आंकड़े के बारे में लिखा है कि यह एक वेबसाइट से उन्हें मिला था, जो अब मौजूद नहीं है।