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चंद्रयान-3 ने की चंद्रमा की सतह पर सल्फर की पुष्टि, जानिए और क्या-क्या पता लगाया 
चंद्रयान-3 के रोवर ने चंद्रमा की सतह पर सल्फर की खोज की है (तस्वीर: एक्स/@isro)

चंद्रयान-3 ने की चंद्रमा की सतह पर सल्फर की पुष्टि, जानिए और क्या-क्या पता लगाया 

Aug 25, 2025
04:38 pm

क्या है खबर?

चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद से कई महत्वपूर्ण खोजों के कारण एक बार फिर सुर्खियों में है। इन खोजों ने चंद्रमा के भूविज्ञान, संरचना और पर्यावरण के बारे में वैज्ञानिकों की समझ को काफी बढ़ाया है। इनमें से एक प्रमुख खोज प्रज्ञान रोवर द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार सल्फर होने की पुष्टि की है। आइये जानते हैं प्रज्ञान रोवर को चंद्र की सतह पर क्या-क्या मिला।

जल-बर्फ 

जल-बर्फ जमाव के बारे में मिली नई जानकारी 

चंद्रयान-3 मिशन के रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एल्युमीनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया। ये निष्कर्ष चंद्र सतह पर होने वाली प्रक्रियाओं और संभावित जल-बर्फ जमाव के बारे में नई जानकारी प्रदान करते हैं। मिशन ने चंद्रमा के इस क्षेत्र में 250 से अधिक भूकंपीय संकेत भी दर्ज किए हैं, जिनमें कम से कम 50 अनोखे संकेत शामिल हैं, जो इसकी गति या अन्य उपकरणों से संबंधित नहीं हैं।

तापमान 

तापमान में अंतर का हुआ खुलासा 

यह पहली बार है, जब दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र से भूकंपीय डाटा एकत्र किया गया है और अपोलो युग के बाद से चंद्र सतह पर कहीं भी पहली बार रिकॉर्ड किया गया है। मिशन ने सतह का तापमान नापा जो 82 डिग्री तक था, जबकि उससे केवल 10cm नीचे -168 डिग्री तक) के बीच अत्यधिक तापमान भिन्नता का पता चला है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, इससे भविष्य में चंद्र संसाधनों के उपयोग की नई संभावनाएं खुल सकती हैं।

उत्पत्ति

चंद्रमा के विकास का चला पता 

रोवर ने चट्टानों और मिट्टी की जांच करते हुए लगभग 4.3 अरब साल पहले दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन द्वारा उजागर की गई प्राचीन प्रभाव घटनाओं और प्राचीन मेंटल सामग्रियों की खोज की। चंद्रमा के गहरे आंतरिक भाग का यह अनूठा अवलोकन वैज्ञानिकों को इसके पिघले हुए स्रोत और उसके बाद के विकास से संबंधित सिद्धांतों को प्रमाणित करने में मदद करता है। इसके अलावा कम घनत्व वाले चंद्र प्लाज्मा और 160 किलोमीटर चौड़े एक पुराने क्रेटर की खोज प्रमुख रही हैं।