महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने के मामले ने कैसे सियासी भूचाल ला दिया?
क्या है खबर?
26 अगस्त को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा ढह गई थी। इस मामले में आज एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया है।
मामले को लेकर राज्य की सियासत गरमाई हुई है। यहां तक की पालघर में आज (30 अगस्त) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से सिर झुकाकर माफी मांगी है।
आइए जानते हैं कैसे इस मामले ने राज्य में सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।
उद्घाटन
प्रधानमंत्री ने ही किया था उद्घाटन
मामले को लेकर सियासी बवाल इसलिए भी हो रहा है, क्योंकि इस प्रतिमा का उद्घाटन 8 महीने पहले खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया था।
4 दिसंबर, 2023 को नौसेना दिवस पर प्रधानमंत्री सिंधुदुर्ग जिले के मालवन शहर गए थे। यहां उन्होंने अपने संबोधन में शिवाजी की तारीफ में कई बातें कही थीं।
प्रतिमा को डिजाइन और स्थापित करने का काम नौसेना ने किया था। प्रतिमा की स्थापना के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नौसेना को 2.36 करोड़ रुपये दिए थे।
बयान
अब क्या बोले प्रधानमंत्री?
प्रधानमंत्री ने प्रतिमा गिरने पर अफसोस जताया।
उन्होंने कहा, "छत्रपति महाराज हमारे लिए केवल राजा, महाराजा नहीं बल्कि आराध्य देव हैं। मैं उनके चरणों में गिर कर उनसे माफी मांगता हूं। शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर हम विकसित महाराष्ट्र-विकसित भारत के संकल्प पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आज पालघर में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास इसी दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास के रूप में याद किया जाएगा।"
महायुति गठबंधन
महायुति गठबंधन में ही सामने आए मतभेद
इस मामले पर महाराष्ट्र के सत्ताधारी महायुति गठबंधन के बीच ही मतभेद सामने आए हैं। लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लगे झटके के बाद वैसे ही पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती रहती हैं।
प्रतिमा ढहने के मामले पर सरकार में शामिल अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने राज्यव्यापी प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मूर्ति का निर्माण नौसेना ने किया था।
विपक्ष
सरकार पर हमलावर विपक्ष
मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार को खूब निशाने पर लिया।
शरद पवार की NCP के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा था, "यह घटना बहुत गंभीर है। सरकार केवल प्रधानमंत्री के हाथों प्रतिमा स्थापित करना चाहती थी।"
NCP सांसद सुप्रिया सुले ने कहा था कि ये यह छत्रपति शिवाजी का अपमान है, वहीं कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को 'शिवद्रोही' कहा था।
अब संजय राउत ने 'सरकार को जूते मारो' आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है।
मामला
कितना संवेदनशील है मामला?
शिवाजी मराठी अस्मिता के प्रतीक माने जाते हैं और ये बेहद भावनात्मक मुद्दा भी है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के बाद अब प्रधानमंत्री ने भी माफी मांगी है।
इससे पहले 2004 में जेम्स लेन की एक किताब में शिवाजी के बारे में विवादित टिप्पणियां की गई थीं। इसके बाद सत्तारुढ़ कांग्रेस-NCP गठबंधन किताब पर प्रतिबंध लगा दिया था।
ये मामला तब एक राजनीतिक मुद्दा बन गया था, जिसका असर चुनावों में भी देखा गया था।