भगत सिंह कोश्यारी से जुड़े प्रमुख विवाद, जिनसे गरमा गई थी महाराष्ट्र की राजनीति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। इसके बाद राष्ट्रपति ने उनकी जगह झारखंड के मौजूदा राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। सितंबर, 2019 में महाराष्ट्र के राज्यपाल का पदभार संभालने के बाद से ही कोश्यारी लगातार विवादों में रहे हैं और उन विवादों ने राज्य की राजनीति में उबाल ला दिया था। आइए उनसे जुड़े प्रमुख विवादों पर नजर डालते हैं।
साल 2019 में देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलाने को लेकर विवाद
कोश्यारी ने सितंबर, 2019 में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री की शपथ दिलाकर विवाद को जन्म दे दिया था। विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ दिया था और वह कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर रही थी। उसके बाद बहुमत होने के बाद भी कोश्यारी ने फडणवीस और पवार को शपथ दिला दी थी। इससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था।
MVA सरकार के मंत्रियों से दोबारा पढ़वाई शपथ
शिवसेना के नेतृत्व में बनी महाविकास अघाड़ी सरकार के कारण फडणवीस और पवार को तीन दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद जब MVA सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हुआ तो उसके मंत्रियों ने आधिकारिक शपथ में अपने शब्द जोड़कर शपथ ली थी। इस पर कोश्यारी नाराज हो गए और उन्होंने कांग्रेस के मंत्री केसी पाडवी सहित अन्य को फिर से शपथ लेने के लिए मजबूर कर दिया। उनके इस कदम पर भी विवाद हुआ था।
लॉकडाउन में मंदिरों के बंद होने पर दिए बयान से उठा विवाद
कोरोना वायरस महामारी के दौरान फरवरी, 2021 में लॉकडाउन के दौरान मंदिरों को बंद रखा गया था, लेकिन बार और रेस्टोरेंट संचालित थे। इस पर कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से पूछा था कि क्या वह धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं? इस बयान पर सरकार हमलावर हो गई और राज्यपाल को मसूरी जाने के लिए बोर्डिंग की अनुमति नहीं दी। इसके बाद कोश्यारी को राज्य के स्वामित्व वाले विमान की जगह कमर्शियल फ्लाइट से जाना पड़ा था।
गुजरातियों और राजस्थानियों पर दिए बयान ने भी खड़ा किया था विवाद
राज्यपाल कोश्यारी ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि महाराष्ट्र से गुजरातियों और राजस्थानियों को निकाल दिया जाए तो राज्य के पास कोई पैसा नहीं रहेगा और मुंबई आर्थिक राजधानी नहीं रहेगा। मारवाड़ी और गुजराती समुदाय जहां भी जाते हैं, वहां विकास करते हैं। कोश्यारी के इस बयान पर राज्य में सियासी घमासान छिड़ गया था और MVA सरकार ने उनकी कड़ी आलोचना की थी। इस पर उन्हें बयान पर सफाई देते हुए माफी भी मांगनी पड़ी थी।
सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले के बाल विवाह का उड़ाया मजाक
मार्च, 2022 में कोश्यारी का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह कथित रूप से समाज सुधारक ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के बाल विवाह का मजाक उड़ा रहे थे। सावित्रीबाई की शादी 10 साल की उम्र में हो गई थी और उस समय उनके पति की उम्र 13 साल थी। उन्होंने कहा था, "सोचिए लड़का और लड़की क्या कर रहे होंगे? शादी के बाद क्या सोच रहे होंगे?" उनके इस बयान की राज्य में कड़ी आलोचना हुई थी।
शिवाजी को लेकर भी दिया था विवादित बयान
कोश्यारी ने नवंबर, 2022 में औरंगाबाद स्थित डॉ बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने समय के आदर्श बन गए हैं। उन्होंने कहा था कि आज के समय में महाराष्ट्र के युवा डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जैसे मौजूदा समय के नेताओं को अपना आदर्श बना सकते हैं। उनके इस बयान पर महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियों ने जमकर निशाना साधा था।
विपक्ष के नेताओं ने की थी कोश्यारी को पद से हटाने की मांग
कोश्यारी के इस बयान के बाद विपक्ष के नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें तत्काल पद से हटाने की मांग की थी। उसके बाद ही कोश्यारी को राज्यपाल के पद से हटाए जाने की आशंका चल रही थी।
कोश्यारी ने प्रधानमंत्री से जताई थी पद छोड़ने की इच्छा
कोश्यारी ने पिछले महीने महाराष्ट्र के राज्यपाल का पद छोड़ने की इच्छा जाहिर की थी। कोश्यारी ने बताया था उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कहा था कि वो अब पढ़ाई-लिखाई और दूसरी गतिविधियों में अपना जीवन व्यतीत करना चाहते हैं। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज दिया था और अब उसे स्वीकार कर लिया गया है।
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