#NewsBytesExplainer: कर्नाटक में आरक्षण में बदलाव के जरिए भाजपा क्या करना चाहती है?
क्या है खबर?
कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले राज्य की आरक्षण व्यवस्था में बड़ा बदलाव कर अपने लिए नए राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश की है।
भाजपा सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) मुसलमानों का 4 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर इसे वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में बांट दिया है, वहीं अनुसूचित जाति (SC) के 101 समुदायों के लिए आंतरिक आरक्षण का ऐलान किया गया है।
आइए जानते हैं कि भाजपा इसके जरिए क्या करने की कोशिश कर रही है।
समीकरण
सबसे पहले जानें कर्नाटक में किस जाति के कितने प्रतिशत वोट
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लगभग 15 प्रतिशत, वोक्कालिगा समुदाय के 10-11 प्रतिशत, कुरबा समुदाय के 7-8 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) के 17 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (ST) के 7 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय के 11 प्रतिशत वोट हैं।
लिंगायत समुदाय का कर्नाटक की कुल 225 विधानसभा सीटों में से लगभग 95 सीटों पर सीधे तौर पर प्रभाव है, इसलिए चुनावी नजरिए से इस समुदाय की अहमियत काफी ज्यादा है।
जानकारी
कर्नाटक में किस वर्ग को कितना आरक्षण था?
कर्नाटक में अभी तक अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (SC) को 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) को 7 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ था। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है।
आरक्षण
SC समुदाय के आरक्षण में क्या बदलाव किए गए हैं?
भाजपा सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के कुल आरक्षण को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया है।
इसके अलावा इसे आंतरिक रूप से भी बांट दिया गया है और 101 SC समुदायों के लिए आंतरिक आरक्षण का ऐलान गया है।
SC लेफ्ट को 6 प्रतिशत, SC राइट को 5.5 प्रतिशत, SC टचेबल को 4.5 प्रतिशत और अन्य SC समुदायों को एक प्रतिशत आंतरिक आरक्षण दिया गया है।
आंतरिक आरक्षण का मतलब आरक्षण के अंदर आरक्षण है।
सेंध
SC आरक्षण में बदलाव के जरिए भाजपा की क्या कोशिश है?
भाजपा ने SC समुदाय के लिए आंतरिक आरक्षण का ऐलान कर कांग्रेस के SC वोट बैंक में सेंध की कोशिश की है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे SC राइट समुदाय से आते हैं और इस समुदाय का झुकाव आम तौर पर कांग्रेस के प्रति होता है, लेकिन भाजपा ने SC राइट के लिए 5.5 प्रतिशत आरक्षण तय कर दिया है।
इसी तरह बंजारा और भोवी जातियों वाले SC टचेबल समुदाय के लिए 4.5 प्रतिशत आरक्षण तय हुआ है।
प्रभाव
भाजपा SC लेफ्ट के वोट पर बनाना चाहती है मजबूत पकड़
कर्नाटक के पहले के चुनाव परिणामों को देखने से पता चलता है कि SC लेफ्ट समुदाय पारंपरिक रूप से भाजपा को वोट करता आया है।
SC समुदाय के लिए आंतरिक आरक्षण तय नहीं होने के कारण SC लेफ्ट समुदाय के लोग SC राइट के बराबर आरक्षण का फायदा नहीं उठा पाते थे, जबकि SC लेफ्ट की संख्या SC राइट से अधिक है।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कद्दावर मंत्री गोविंद कार्जोल SC लेफ्ट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
राजनीति
लिंगायत समुदाय का आरक्षण बढ़ाने के पीछे क्या योजना?
भाजपा का परंपरागत वोटर माने जाने वाले लिंगायत समुदाय को कर्नाटक की राजनीति में बेहद प्रभावशाली माना जाता रहा है।
भाजपा सरकार ने OBC मुसलमानों के 4 प्रतिशत आरक्षण का दायरा घटाकर और लिंगायत समुदाय को 2 प्रतिशत अधिक आरक्षण देकर समुदाय पर अपनी पकड़ को मजबूत करने की एक और कोशिश की है।
नई व्यवस्था के तहत लिंगायत समुदाय को 5 प्रतिशत की जगह अब 7 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा।
राजनीति
भाजपा की वोक्कालिगा समुदाय पर भी नजर
कर्नाटक चुनाव में भाजपा की नजर लिंगायत समुदाय के बाद दूसरे सबसे प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय पर भी है।
OBC मुसलमानों के आरक्षण के दायरे को घटाकर वोक्कालिगा समुदाय को 2 प्रतिशत अधिक आरक्षण दिया गया है। इसके चलते वोक्कालिगा समाज का आरक्षण 4 प्रतिशत से बढ़कर 6 प्रतिशत हो गया है।
पारंपरिक तौर पर जनता दल सेक्युलर (JDS) और कांग्रेस की वोक्कालिगा समुदाय पर मजबूत पकड़ रही है। भाजपा इस पकड़ को कमजोर करना चाहती है।
चुनाव
कर्नाटक में 10 मई को होगा मतदान
कर्नाटक में 10 मई को सभी सीटों पर मतदान होगा और 13 मई को नतीजे जारी कर दिए जाएंगे। उम्मीदवारों के नामाकंन दाखिल करने की आखिरी तारीख 20 अप्रैल है और 24 अप्रैल तक नामांकन वापस लिया जा सकता है।
पिछले नतीजों की बात करें तो 2018 के कर्नाटक चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 80 और JD(S) को 37 सीटें मिली थीं।
राज्य में एक मनोनीत सीट को मिलाकर कुल 225 विधानसभा सीटें हैं।