इन 5 कारणों से मोदी को एक बार फिर मिल सकती है प्रधानमंत्री की गद्दी
लोकसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े देश में एक सवाल हर दिमाग में है- 2019 में मोदी या कोई और? चुनाव तो अप्रैल-मई के आसपास होंगे, लेकिन हर कोई इस सवाल का जबाव आज ही जान लेना चाहता है। हम इस सवाल का पक्का जबाव तो नहीं दे सकते, लेकिन कुछ ऐसे ठोस कारण जरूर बता सकते हैं जिनकी बदौलत प्रधानमंत्री पद पर मोदी की वापसी हो सकती है। आइए जानते हैं ऐसी ही 5 वजहें।
अहम हो सकता है सवर्ण आरक्षण का दांव
मोदी सरकार ने उच्च जाति के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देकर एक बड़ा दांव खेला है। आरक्षण पर तय पैमानों को तोड़कर सरकार एक संदेश देने में सफल रही है। इस दांव से भाजपा को मिलने वाले हर सवर्ण वोट का सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा, क्योंकि उसकी तरह कांग्रेस का भी सवर्ण जातियों में अच्छा-खासा वोटबैंक है। आरक्षण के जरिए भाजपा SC/ST कानून पर उससे नाराज हुए सवर्णों को भी अपनी ओर खींच सकती है।
राष्ट्रवाद की हवा
देश में राष्ट्रवाद की हवा चल रही है और इसे भारतीय राजनीति का 'भक्ति युग' कहा जा रहा है। राष्ट्रवाद के खेल की सबसे बड़ी खिलाड़ी भाजपा है। JNU विवाद से लेकर सेना को खुली छूट तक, हर कदम पर भाजपा अपनी राष्ट्रवादी छवि को मजबूत करने में सफल रही है। सरकार के कार्यकाल में कोई भी बड़ी आतंकी वारदात ना होना भी उसके समर्थन में जाता है। राष्ट्रवादी छवि उसे चुनाव में कुछ हद तक फायदा दे सकती है।
विरोधियों में एकजुटता की कमी
विरोधियों में यह बात साफ थी कि अगर भाजपा को रोकना है तो देश भर में उन्हें एकजुट होना होगा। राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई भी 'महागठबंधन' अभी तक शक्ल नहीं ले सका है, जबकि चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं। 2014 में भाजपा की जीत का एक कारण उसके विरोधी वोटों का बंटना भी रहा था। अगर महागठबंधन नहीं हो पाता, जैसा कि मौजूदा हालातों में लग रहा है, तो भाजपा 2014 का करिश्मा दोहरा सकती है।
अमित शाह की चाणक्य नीति
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को मौजूदा राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। शाह के बारे में माना जाता है कि वह भाजपा के जमीन पर मौजूद कार्यकर्ताओं से सीधे जुड़े रहते हैं। उन्होंने पार्टी स्तर पर ऐसा संगठन बना रखा है, जिसे फिलहाल कोई और पार्टी चुनौती देने का माद्दा नहीं रखती। 3 हिंदी क्षेत्र के राज्यों में हार से मिले संदेश से शाह सबक ले चुके होंगे और यह 'हार' उनकी लोकसभा रणनीति की बुनियाद बन सकती है।
ब्रांड मोदी के मुकाबले कोई नहीं
विरोधियों और भाजपा में सबसे बड़ा अंतर हैं खुद मोदी। राजनीति में 'चेहरे' महत्वपूर्ण होते हैं और देश की राजनीति में अभी ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो मोदी को टक्कर दे सके। वह प्रधानमंत्री के तौर पर देश के लोगों की सबसे बड़ी पसंद बने हुए हैं। मोदी अपने भाषण के जरिए मतदाताओं को भाजपा की ओर खींचने का हुनर रखते हैं। नजदीकी चुनाव में यह अहम साबित हो सकता है।