हिमाचल प्रदेश: सुक्खू सरकार ने नेमप्लेट मामले से पल्ला झाड़ा, विक्रमादित्य सिंह को आलाकमान की फटकार
हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी, भोजनालयों और खाने-पीने की दुकानों पर नाम और पहचान अनिवार्य करने को लेकर कांग्रेस में ही घमासान देखने को मिल रहा है। एक दिन पहले मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि हिमाचल में भी रेहड़ी और ढाबे वालों को नेमप्लेट लगानी होगी। अब प्रदेश सरकार ने इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि अभी तक ऐसा कोई फैसला लागू नहीं किया गया है।
क्या बोले थे विक्रमादित्य सिंह?
विक्रमादित्य ने कहा था, "हिमाचल में शांति बनाना हमारी जिम्मेदारी है। हिमाचल में बाहर के राज्यों के लोगों का स्वागत है, लेकिन प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। कानून और सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। उत्तर प्रदेश की तर्ज पर प्रदेश में भी रेहड़ी वालों को उनकी फोटो लगे लाइसेंस दिए जाएंगे। इन्हें दुकानों के बाहर लगाना अनिवार्य होगा। इसके लिए शहरी विकास विभाग को निर्देश दे दिए गए हैं।"
अब सुक्खू सरकार ने क्या कहा?
सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, "अभी तक राज्य सरकार ने स्टॉल पर नेमप्लेट या किसी पहचान पत्र को अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। सरकार सड़क विक्रेताओं से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है और निर्णय लेने से पहले सभी सुझावों पर विचार करेगी। स्ट्रीट वेंडर्स नीति पर विचार करने के लिए संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है।"
दिल्ली तलब किए गए विक्रमादित्य
विक्रमादित्य के इस बयान का पार्टी के भीतर ही विरोध हो रहा था। स्थानीय नेताओं ने आलाकमान तक अपनी राय पहुंचाने की बात कही थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी आलाकमान भी इस पर नाराज है। 25 सितंबर की उन्हें आलाकमान ने दिल्ली तलब किया और मामले पर फटकार भी लगाई है। छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भी हिमाचल सरकार के फैसले पर असहमति जताई थी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने दिए थे नेमप्लेट का आदेश
जुलाई में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए थे कि सभी कांवड़ मार्ग पर आने वाली सभी खाने-पीने की दुकानों पर दुकानदारों को अपना नाम लिखना होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है कि प्रदेश भर में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों पर 'नेमप्लेट' लगानी होगी। इस फैसले का काफी विरोध हुआ था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।