कौन हैं प्रीति पाल, जिन्होंने पेरिस पैरालंपिक में 2 पदक जीतकर रचा इतिहास?
इस समय खेले जा रहे पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की धाविका प्रीति पाल ने कमाल किया। उन्होंने इन खेलों में 2 कांस्य पदक जीतते हुए इतिहास रच दिया। वह पैरालंपिक खेलों में एथलेटिक्स में 1 से अधिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी हैं। यही कारण है कि भारत ने इन खेलों में अब तक कुल 7 पदक जीत लिए हैं। आइए प्रीति के सफर के बारे में जानते हैं।
100 और 200 मीटर में प्रीति ने जीते कांस्य पदक
पैरालिंपिक में 100 मीटर में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के कुछ दिनों बाद, प्रीति ने 200 मीटर में भी कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। प्रीति ने महिलाओं के T35 में 100 की दौड़ 14.21 सेकंड के साथ पूरी की। इसके कुछ दिनों बाद 200 मीटर दौड़ के लिए उन्होंने 30.01 सेकंड का समय निकाला। दिलचस्प रूप से उन्होंने 100 मीटर में पदक जीतने के बाद ही 200 मीटर में पदक जीतने की बात कह दी थी।
किसान परिवार में जन्मीं हैं प्रीति
प्रीति का जन्म 22 सितंबर, 2000 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता दूध की डेयरी चलाते हैं। जन्म के कुछ ही दिनों बाद उनके शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया। पैरों में कमजोरी के कारण उन्हें कई तरह की बीमारियों का खतरा था। प्रीति के पिता ने उनके पैरों को मजबूत बनाने के लिए कई तरह के पारंपरिक उपचार करवाए। हालांकि, सफलता नहीं मिली।
फातिमा खातून से मिलकर पैरा-एथलेटिक्स से परिचित हुई प्रीति
5 साल की उम्र में उसने बैशाखी पहनना शुरू कर दिया और 8 साल तक उसे पहना। प्रीति का नजरिया तब बदलने लगा जब उसने सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेलों को देखा। इन खेलों से प्रेरित होकर उन्होंने भी एथलीट बनने का सपना देखा। इस बीच उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। प्रीत की जिंदगी तब बदल गई जब उनकी मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई, जिन्होंने उसे पैरा-एथलेटिक्स से परिचित कराया।
2022 के एशियाई पैरा खेलों के लिए किया क्वालीफाई
फातिमा के सहयोग से प्रीति ने 2018 में स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी कड़ी मेहनत आखिरकार रंग लाई। उन्होंने एशियाई पैरा खेलों 2022 के लिए क्वालीफाई किया, जहां वह 100 मीटर और 200 मीटर दोनों ही स्पर्धाओं में चौथे स्थान पर रही थी। भले ही वह पदक नहीं जीत सकी हों, लेकिन उन्होंने खेलों को गंभीरता से लिया।
कोच गजेंद्र सिंह की निगरानी में चखा सफलता का स्वाद
वह कोच गजेंद्र सिंह के अधीन ट्रेनिंग लेने के लिए दिल्ली चली गई। कोच की निगरानी में उनकी तकनीक में उल्लेखनीय सुधार हुआ। प्रीति की लगन और कड़ी मेहनत का नतीजा यह हुआ कि उन्हें विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए चुना गया, जहां उन्होंने 2024 में 100 मीटर और 200 मीटर दोनों स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीतकर शानदार प्रदर्शन किया। अब उन्होंने भरोसा बरकरार रखते हुए पैरालंपिक में भी पदक जीते हैं।