सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, मध्य प्रदेश में कल ही कराएं फ्लोर टेस्ट
मध्य प्रदेश में वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद शुरू हुआ सियासी संग्राम लगातार जारी है। भाजपा की ओर से लगाई गई कांग्रेस से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को शुक्रवार को ही फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। इससे पहले कमलनाथ सरकार ने गत सोमवार को विधानसभा सत्र के साथ फ्लोर टेस्ट को 26 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था।
शाम पांच बजे से पहले पूरा कराना होगा फ्लोर टेस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा में शुक्रवार शाम 5 बजे से पहले ही फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट की वीडियो रिकॉर्डिंग की कराने को कहा है। इसमें विधानसभा सदस्यों को हाथ उठाकर वोट देना होगा। ऐसे में अब मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार के सत्ता में बने रहने पर चल रहा संशय खत्म हो जाएगा। भाजपा खुद के पास बहुमत होने का दावा कर रही है।
फ्लोर टेस्ट से होगा नई सरकार बनने का रास्ता साफ- चौहान
सुप्रीम कोर्ट की ओर से शुक्रवार को ही फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराजसिंह चौहान ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, 'कल फ्लोर टेस्ट होगा और हमारा अटल विश्वास है कि ये सरकार पराजित होगी और नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा। कल दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।' वहीं भाजपा नेता बाबुल सुप्रीयो ने भी फैसले पर खुशी जताई है।
"फ्लोर टेस्ट के लिए कांग्रेस पूरी तरह से तैयार"
फैसले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीतू पटवारी ने कहा, "हम इसके लिए हमेशा से तैयार थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बारे में खुद स्थिति स्पष्ट की थी। यह जरूरी है कि जिन विधायकों को बंधक बनाया गया उन्हें सामने लाया जाए। सदन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने के लिए बाध्य है और हम अपना बहुमत सिद्ध करने को लेकर आश्वस्त हैं।" गोपाल भार्गव ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कल पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराने के दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देने के साथ यह भी कहा है कि यदि कांग्रेस के बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में विधानसभा में उपस्थित होना चाहते हैं तो वह जा सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कर्नाटक और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों को बागी विधायकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी हैं। ऐसे में यदि वह विधानसभा पहुंचते हैं तो उनकी सुरक्षा के लिए दोनों राज्यों की पुलिस की ओर से भारी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
विधानसभा स्पीकर ने अस्वीकार किया सुप्रीम कोर्ट का प्रस्ताव
इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी त्रिपाठी को बागी विधायकों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात करने का या उन्हें बंधक बनाने के भय को दूर करने के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करने का सुझाव दिया था, लेकिन अध्यक्ष ने उसे अस्वीकार कर दिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने कहा कि बागी विधायकों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए इंतजाम किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में तीन दिन तक हुई मामले की सुनवाई
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गत मंगलवार से सुनवाई कर रहा है। लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार शुक्रवार को ही फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से कमलनाथ ने किया था यह दावा
इससे पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने न्यूज18 से बातचीत में कहा था कि सरकार के पास बहुमत है। ऐसे हालात में वह फ्लोर टेस्ट क्यों कराएं? उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहे तो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जो आदेश देगा वह उसका पालन करेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि कांग्रेस के विधायकों को कर्नाटक क्यों लेकर गए? उन्हें क्यों किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है? कई विधायक उनके संपर्क में हैं।
राज्यपाल ने कही थी 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने की बात
इससे पहले गत 16 मार्च को कमलनाथ सरकार ने राज्यपाल के आदेशों के बाद कोरोना के कारण विधानसभा और फ्लोर टेस्ट को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया था। भाजपा के शिकायत करने पर राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर 17 मार्च को ही फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। हालांकि 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की ओर से फ्लोर टेस्ट का त्वरित आदेश नहीं देने के कारण सरकार ने फ्लोर टेस्ट नहीं कराया था।
ये है मध्य प्रदेश विधानसभा की वर्तमान स्थिति
मध्य प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में दो विधायकों का निधन होने के कारण 228 सदस्य हैं। कांग्रेस के पास 114 और भाजपा के पास 107 विधायक हैं। इसके अलावा चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक का भी समर्थन है। इस तरह कांग्रेस को फिलहाल 121 विधायकों का साथ है। बहुमत का आंकड़ा 116 है। सिंधिया के करीबी 22 विधायकों के इस्तीफा देने से अब कांग्रेस के पास 92 विधायक बचे हैं। हालांकि, इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है।